** योजना फेल : 17 दिन शिक्षक तो पहुंचते रहे, रिअपीयर वाले 3 लाख बच्चे नहीं आए
भिवानी : गरमी की छुट्टियों में स्पेशल कोचिंग क्लास लगाने के फैसले को शिक्षा विभाग ने 16 दिन बाद बुधवार को वापस ले लिया। रीअपीयर स्टूडेंट्स के लिए यह कक्षाएं थीं। शिक्षक तो पहुंच रहे थे लेकिन छात्र नहीं रहे थे।
इन कक्षाओं से सरकार पर लगभग नौ करोड़ रुपये का भार पड़ा है। यह रकम उन 10 हजार शिक्षकों को अर्जित अवकाश (ईएल) के बदले में मिलेगी, जिनकी ड्यूटी क्लासों के लिए लगी थी। हालांकि सरकार को यह पेमेंट शिक्षकों को उनकी रिटायरमेंट पर देनी होगी। प्रदेश के लगभग दस हजार सरकारी शिक्षकों के विषयों का रिजल्ट 50 फीसदी से कम रहा। एक कर्मचारी को एक वर्ष में नौ ईएल मिलती हैं। ईएल सेवा के आधार पर मिलती है। हालांकि स्कूल लगभग दस दिन लगे हैं। इस प्रकार औसतन एक-एक शिक्षक को छह ईएल के पैसे मिलेंगे। औसतन एक ईएल के लगभग 1,500 रुपए होते हैं। उल्लेखनीय है कि 29 मई को शिक्षा विभाग ने स्पेशल कोचिंग कक्षाएं लगाने का आदेश दिया था।
बुधवार को विभाग के प्रधान सचिव कार्यालय की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह कक्षाएं बंद करने का आदेश दिया। हरियाणा अध्यापक संघ के प्रांतीय महासचिव संजीव मंदौला कहते हैं कि सरकार को यह निर्णय लेने से पहले शिक्षकों की राय लेनी चाहिए थी।
मंशा अच्छी पर व्यवहारिक नहीं
1. स्पेशल क्लास लगाने के निर्देश तब आए थे, जब स्कूलों में छुट्टियां हो चुकी थी। यानी छात्रों तक मैसेज नहीं पहुंचा।
2. आदेश देने से पहले व्यवहारिकता नहीं देखी गई। शिक्षकों की राय भी नहीं ली गई।
3. शिक्षक भी अनमने थे। उनकी छुट्टियों का मजा किरकिरा हो गया था। शिक्षक संघ खुलकर विरोध कर रहे थे।
सबसे खराब रिजल्ट के बाद फैसला
इस बार दसवीं में 1,84,882 और 12वीं में 1,19,182 विद्यार्थियों की रीअपीयर आई थी। स्कूल शिक्षा बोर्ड के इतिहास का अब तक का सबसे खराब रिजल्ट इस बार आया। जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया था। db
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