शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए विचार-विमर्श कर रहे लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे परीक्षा प्रणाली में सुधार के बारे में भी प्राथमिकता के आधार पर गंभीरता से सोचें। ऐसा इसलिए, क्योंकि परीक्षाओं की विश्वसनीयता में गिरावट का सिलसिला कुछ ज्यादा ही तेज है। चंद परीक्षाओं को छोड़ दें तो ज्यादातर के बारे में यही आशंका बनी रहती है कि कहीं उनमें नकल तो नहीं हुई या फिर उनके पर्चे तो लीक नहीं हुए। यदि स्कूल और कॉलेज स्तर की परीक्षाएं नकल की समस्या से जूझ रही हैं तो प्रतियोगी परीक्षाएं पर्चे लीक होने से। एक समय विश्वसनीय मानी जाने वाली सीबीएसई की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पर्चे लीक होने के कारण उसे दोबारा कराना होगा। इस परीक्षा के पर्चे रोहतक में लीक हो गए थे। इस पर कुछ छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उसने चार हफ्तों के अंदर दोबारा परीक्षा कराने के आदेश दिए। सीबीएसई का कहना है कि इतने कम समय में फिर से परीक्षा कराना संभव नहीं। फिलहाल तय नहीं कि यह परीक्षा कब होगी, लेकिन यह पक्का है कि इसके चलते सीबीएसई के साथ-साथ लाखों छात्रों के समय और धन की अच्छी-खासी बर्बादी होगी। पिछले महीने देश भर में हुई इस परीक्षा में छह लाख से ज्यादा छात्र बैठे थे। क्या इससे शर्मनाक और कुछ हो सकता है कि कुछ लोगों की कारगुजारी की कीमत लाखों छात्र चुकाएं? चूंकि पर्चे लीक होने की पुष्टि हो चुकी है इसलिए दोबारा परीक्षा कराने के अलावा और कोई उपाय भी नहीं।
यह पहली बार नहीं है जब किसी प्रतियोगी परीक्षा के पर्चे लीक हुए हों। पिछले कुछ समय से ऐसी परीक्षाओं के पर्चे लगातार लीक हो रहे हैं। हाल के समय सीबीएसई की मेडिकल प्रवेश परीक्षा, जामिया मिलिया विवि की बीटेक एवं बीडीएस प्रवेश परीक्षा, मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा समेत अन्य अनेक परीक्षाओं के पर्चे लीक होने के मामले सामने आ चुके हैं। इससे पहले रेलवे भर्ती की कई परीक्षाओं के पर्चे लीक हो चुके हैं। सूचना तकनीक की उपलब्धता ने पर्चे लीक कराने वाले तत्वों का काम कहीं आसान कर दिया है और ऐसा लगता है कि परीक्षाएं आयोजित कराने वाली संस्थाओं को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें-क्या नहीं? स्थिति यह है कि देश के कई हिस्सों में प्रतियोगी परीक्षाओं के पर्चे लीक कराने वाले गिरोह पैदा हो गए हैं। वे पर्चे ही लीक नहीं कराते, बल्कि उनके उत्तर भी उपलब्ध कराते हैं। इस काम ने एक किस्म के कारोबार का रूप ले लिया है। सीबीएसई की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पर्चे लीक होने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपका पूरा सिस्टम फेल हो गया है और परीक्षा प्रणाली तो बिल्कुल ही पुरानी पड़ गई है। दुर्भाग्य से यही बात अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने वाले संस्थानों पर भी लागू होती है। यह अजीब है कि एक ओर हम सूचना-संचार तकनीक में दक्ष होने का दम भरते हैं दूसरी ओर परीक्षाओं में सेंध लगाने वालों के आगे बेबस भी दिखते हैं। हर स्तर की परीक्षा प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। इस मांग को पूरा करने के क्रम में यह भी सोचना होगा कि आखिर मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि के लिए भिन्न-भिन्न संस्थान अलग-अलग परीक्षाएं क्यों कराते हैं? djedtrl
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