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Monday, 24 August 2015

नौवीं में भी नहीं आता नाम लिखना

** नई शिक्षा नीति के सुझाव दिवस में अभिभावकों ने खूब उठाए मुद्दे
** नो डिटेंशन पालिसी खत्म कर बोर्ड परीक्षा शुरू करने का सुझाव 
** सरकारी कर्मियों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ाने की रखी बात
** पांचवीं कक्षा के बोर्ड के लिए भी शिक्षा बोर्ड से मांग की गई
चंडीगढ़ : नई शिक्षा नीति के मंथन के लिए ग्रामीण स्कूलों में हुए सुझाव दिवस में अभिभावकों ने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर खूब सवाल उठाए। ग्राम सभा की बैठकों में अभिभावकों ने नो डिटेंशन पालिसी को बच्चों के लिए नुकसानदायक बताया। 
स्कूल स्टाफ, प्रिंसिपल और मुख्याध्यापकों के सामने वे बोले कि बच्चा नौवीं में हो गया है पर हमारा नाम लिखना नहीं आता। बताएं इस पढ़ाई का कोई फायदा है।
सुझाव दिवस में अभिभावकों ने पहली से आठवीं तक फेल न करने की नीति को खत्म कर बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने की बात कही। पांचवीं कक्षा के लिए भी बोर्ड की मांग रखी गई है। शिक्षाविदें, स्कूल प्रबंधन समितियों और पंचायत के पूर्व प्रतिनिधियों ने प्राथमिक शिक्षा की बदहाल स्थिति का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूलों में पांच कक्षाओं में एक शिक्षक है। ऐसे में बच्चे निजी स्कूलों के छात्रों का मुकाबला पढ़ाई में कैसे कर सकते हैं। हर कक्षा के लिए एक शिक्षक प्राइमरी स्कूलों में होना चाहिए। 
स्कूल से बच्चों के गैर हाजिर रहने पर अभिभावकों ने सख्ती बरतने व नाम काटने का प्रावधान कड़ाई से लागू करने की बात कही। शिक्षा का अधिकार कानून को लेकर स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों के समक्ष बच्चों के लिए किए गए प्रावधान को रखा। 
प्रिंसिपल व मुख्याध्यापकों ने कहा कि अब कानून सख्त हो गया है। शिक्षक बच्चे को गलती करने व न मानने पर डांट तक नहीं सकते। इसका भी छात्र फायदा उठा रहे हैं। अभिभावकों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कुछ ने डांट डपट के साथ गलती करने पर पुरातन परंपरा अपनाने व कुछ ने समझाने की बात रखी।
अभिभावकों ने मुफ्त शिक्षा को दसवीं कक्षा तक लागू करने का सुझाव दिया है। साथ ही वर्दी, जूतों के लिए मिलने वाला भत्ता दाखिला के समय देने की मांग की गई। मिडिल स्कूलों में भी सांइस लैब स्थापित करने का परामर्श आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का भी बैठकों में कई जगह जिक्र हुआ।
ग्रामीणों ने कहा कि अमीर लोग व सरकारी कर्मी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाते। सरकार उनके लिए भी कानून बनाए कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल कराएं।
मूल्यवान रहीं बैठकें 
स्कूल मुख्याध्यापक दलबीर मलिक व रमेश मलिक ने कहा कि ग्रामीणों के साथ हुई बैठकें काफी सकारात्मक रहीं। अभिभावकों के अच्छे सुझाव आए हैं। इनकी रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी। स्कूलों में नई शिक्षा नीति के बारे में सुझाव देने को लोगों ने काफी रूचि दिखाई है। 
शिक्षक रैली में कैसे हुआ सुझाव दिवस 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह ने कहा कि करनाल की महा आक्रोश रैली में दस हजार से अधिक शिक्षक शामिल हुए। शिक्षकों को ही सुझाव दिवस का नोडल अधिकारी बनाया गया था, इसकी सफलता पर संदेह है। जिलों से आंकड़े आने के बाद पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।                                                                     dj

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