गनीमत रही कि विद्यार्थियों ने अपने स्तर पर पहले पता कर
लिया, जिसके चलते खुद जाकर रोल नंबर पता कर आए। यदि डाक के भरोसे बैठे रहते
थे उनका साल भी बर्बाद हो सकता था। धांगड़ निवासी सुशील, रमेश, कांता व
पुष्पा ने बताया कि उन्होंने पत्रचार से बीकॉम के लिए आवेदन किए थे। इस
कोर्स के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से 13 जुलाई को पेपर शुरू हुए थे और 13
अगस्त को समाप्त हो गए। पहले तो काफी समय तक रोल नंबर का इंतजार करते रहे।
इस बीच किसी ने बताया कि परीक्षा होने वाली हैं, इसलिए उन्होंने निजी
कोचिंग सेंटरों से संपर्क किया। वहां से पता चला कि डेट शीट आ चुकी है,
लेकिन रोल नंबर घर पहुंचने की गारंटी नहीं है। इसके बाद वे खुद
विश्वविद्यालय में जाकर रोल नंबर पता करके आए और परीक्षा दे सके। उन्होंने
बताया कि उन्हें परीक्षा समाप्त होने के बाद अब डाक द्वारा रोल नंबर मिले
हैं। उन्होंने कहा कि यदि विश्वविद्यालय की तरफ से ऐसी लापरवाही की संभावना
रहती है तो विद्यार्थियों को पहले बताया जाना चाहिए ताकि वे अपने स्तर पर
रोल नंबर ला सकें। यदि विश्वविद्यालय डाक को गंभीरता से नहीं लेता तो रोल
नंबर डाक द्वारा नहीं भेजे जाने चाहिए। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता अमित
सांगवान का कहना है कि यदि ऐसी बात है तो यह लापरवाही है। उन्होंने कहा कि
जिसके पास इस काम का चार्ज है, उन्होंने अपना मोबाइल बंद किया हुआ है। dj
.

Breaking News
News Update:
*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.