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Thursday, 20 August 2015

नियम 134-ए : सरकार ने फीस नहीं भरने का रास्ता खोजा

चंडीगढ़ : हरियाणा के गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले देने के अदालती फरमान के बाद सरकार ने खर्च को लेकर बीच का रास्ता निकाल लिया है। अदालत के आदेश हैं कि फीस की भरपाई सरकार करेगी, लेकिन शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर कई ऐसे नियम तय कर दिए, जिसके तहत निजी स्कूल संचालकों को सरकार से फीस हासिल करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। 
राज्य के निजी स्कूलों ने फीस के लिए अब सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिक्षा विभाग के पत्र के तहत प्रदेश में चलने वाले किसी भी निजी स्कूल को प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) का लाभ नहीं मिल पाएगा। पत्र के अनुसार जो स्कूल रोड टैक्स, पैसेंजर टैक्स में बसों में छूट ले रहे हैं, उन्हें रिइंबर्समेंट का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसी तरह जो स्कूल संचालक इनकम टैक्स में छूट ले रहे हैं और सरकार से कम कीमत पर जमीन ले रखी है, उन्हें भी रिइंबर्समेंट नहीं दिया जाएगा। फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रदेश सरकार को गुमराह करते हुए निजी स्कूलों को दबाने में लगे हैं। चुनाव से पूर्व भाजपा नेताओं ने फेडरेशन के बैनर तले निजी स्कूल संचालकों को आश्वासन दिया था कि भाजपा की सरकार बनने पर 134-ए के तहत गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा के खर्च का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा, जिस पर सभी स्कूल संचालकों ने चुनाव में भाजपा का साथ दिया। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि नियम 134-ए के तहत बच्चों को फ्री पढ़ाने वाले स्कूलों को सरकार प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) दे, लेकिन कोर्ट के आदेशों के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी गरीबों को पढ़ाने की एवज में निजी स्कूलों का हक मारने के नए नए बहाने तलाश रहे हैं। भाजपा सरकार से निजी स्कूलों को बहुत उम्मीदें हैं लेकिन अधिकारी नई नई योजनाएं बनाकर स्कूल संचालकों को परेशान करने में लगे हैं। सभी स्कूल सोसायटी एक्ट के तहत चल रहे हैं और सभी स्कूल सरकार की छूट का लाभ ले रहे हैं।                                           dj

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