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Wednesday, 19 August 2015

आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति बदलने का रास्ता साफ


नई दिल्ली : शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत कक्षा आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में सभी राज्यों ने इस मुद्दे पर आमराय व्यक्त की है। अगले 15 दिनों में राज्यों से इस बारे में लिखित अनुरोध देने को कहा गया है। उसके बाद केंद्र सरकार इस प्रावधान को बदलने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा।
बैठक के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि सारे राज्य इस मुद्दे पर एकमत थे कि बच्चों को फेल नहीं किए जाने के प्रावधान से उनमें पढ़ने-खिलने और सीखने की प्रवृत्ति घट रही है। पिछली सरकार ने इस मुद्दे पर एक उप समिति गठित की थी जिसके सदस्य बिहार के शिक्षा मंत्री पी. के. शाही इस बैठक में भी मौजूद थे। शाही ने अपने अनुभव बताए कि किस प्रकार शिक्षकों एवं अभिभावकों ने भी उनके समक्ष इस नीति के दुष्प्रभावों के बारे में चिंता प्रकट की थी और इस बदलने का अनुरोध किया था। राज्यों ने यह भी कहा कि इस मामले में अब ज्यादा देर नहीं की जाए और अगल सत्र से ही इस नीति को बदल दिया जाए।
घटेगा बस्ते का बोझ
बैठक में बस्ते के बोझ घटाने के उपायोंपर भी चर्चा की गई। सभी राज्य इस पर सहमत थे कि बस्ते का बोझ कम होना चाहिए। राज्यों द्वारा इस मुद्दे पर अपनाई जा रही बेहतरीन कोशिशों पर भी चर्चा हुई। मसलन, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में बस्ते का बोझ कम करने के लिए सेमिस्टर के हिसाब से पढ़ाई कराई जा रही है। इस मुद्दे पर सभी राज्यों के बेस्ट प्रैक्टिस को लेकर राज्यों के लिए व्यापक नियामवली बनाकर जारी की जाएगी जिसे लागू करके वे बस्ते का बोझ कम कम करेंगे।
तीन उप समितियां बनी-
बैठक में तीन अलग-अलग मुद्दों पर उप समितियां बनाई गई हैं। स्कूल जाने से वंचित बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से स्कूल प्रणाली में वापस लाने के लिए मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की अध्यक्षा में एक समिति बनाई गई है। दूसरी समिति रामशंकर कठेरिया की अध्यक्षता में बनाई गई है जो कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा में सुधार के उपाय सुझाएगी। तीसरी समिति पंजाब के शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में बनी है जो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के उपाय सुझाएगी।
आरटीई का विस्तार-
बैठक में आरटीईके विस्तार पर चर्चा की गई तथा मोटे तौर पर राज्यों में इस मुद्दे पर भी सहमति है। इसी प्रकार नई शिक्षा नीति पर आगे चर्चा जारी रखने पर सहमति बनी है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में सुधार, एनसीसी और एनएसएस को ऐच्छिक विषय बनाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। बैठक में एनसीसी के महानिदेशक मौजूद थे और उन्होंने इसके लिए जिला स्तर पर आवश्यक मदद का भरोसा दिलाया।
10वीं बोर्ड पर चर्चा नहीं-
सीबीएसई के दसवीं में बोर्ड को अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर बैठक में चर्चा नहीं हुई। बैठक में 19 राज्यों के शिक्षा मंत्री स्वयं मौजूद थे जबकि 29 राज्यों के अधिकारी आए थे।                                                              H.com

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