चंडीगढ़ : पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फेल न करने की योजना नो डिटेंशन पालिसी को लेकर शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने शिक्षा के गिरते स्तर के लिए इस पालिसी को ही जिम्मेदार ठहराया।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 63वीं बैठक में रामबिलास शर्मा ने नो डिटेंशन पॉलिसी के विरोध में कहा कि शिक्षा का अत्याधिक व्यापारीकरण हो गया है। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है। कुछ वर्षो से 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। कक्षा एक से आठ के बच्चों को केवल एक स्तर से दूसरे स्तर पर बिना परीक्षा उत्तीर्ण किया जाता है। परीक्षाएं समाप्त करना बच्चों के हित में नहीं, क्योंकि पढ़ना और पढ़ाना मनोविज्ञान है। इसे जारी रखना चाहिए। सरकारी स्कूल में एक विद्यार्थी पर 28 हजार रुपये खर्च किए जा रहे है, बावजूद परिणाम खराब है। यह चिंता का विषय है।
गरीब व अमीर के बच्चों में शिक्षा का जो अंतर है वह समाप्त किया जाना चाहिए। गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में ए,बी,सी,डी सीखता है, जबकि अमीर का बच्चा नर्सरी से ही अंग्रेजी सीखने लगता है। केंद्र सरकार की छात्रों के स्कूली बस्तों के वजन को कम करने की पहल सराहनीय है। बच्चों का न केवल किताबों का बोझ कम हो, बल्कि उनकी शिक्षा-दीक्षा भी तनाव मुक्त एवं खुशहाल होनी चाहिए। इसके लिए बच्चों को पुस्तकें स्कूल में ही रखने के लिए ढाचागत सुविधा देने, दोहराई एवं गृह कार्य कराने व नवाचार पर विचार करे। स्कूलों में समय सारिणी को ऐसे व्यवस्थित किया जाए ताकि बच्चे एक दिन में तीन विषय की पढ़ाई करें। बैठक में शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन व स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता भी उपस्थित रहे। dj 9:21pm
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