** धीमी हायरिंग प्रक्रिया ने पकड़ी रफ्तार, कंपनियां 'कास्ट' टेस्ट से मिनटों में परख रही हैं प्रतिभाएं
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने लालकिले से भाषण में छोटी नौकरियों में इंटरव्यू व्यवस्था खत्म करने की बात कही थी। लेकिन कई कंपनियां पहले ही इस फॉर्मूले को लागू कर चुकी हैं।
इनमें सबसे आगे हैं कॉमर्स और स्टार्टअप कंपनियां। ये कंपनियां अब नौकरी देने के लिए 'स्पीड हायरिंग' का तरीका अपना रही हैं। इसमें घंटे-घंटेभर के एक्जाम होते हैं, ना ही लंबे-लंबे इंटरव्यू राउंड्स। 'कास्ट' नाम का टेस्ट लिया जाता है। सिर्फ 12 मिनट में ही उम्मीदवार की योग्यता परख कर उसे ऑफर लेटर दे दिया जाता है। असेसमेंट फर्म कोक्यूब्स ने इस प्रोसेस को डिजाइन किया है। कोक्यूब्स के सीईओ हरप्रीत सिंह ग्रोवर ने कहा, 'स्टार्टअप कंपनियों में कास्ट काफी लोकप्रिय है। बड़ी कंपनियां भी इसे इस्तेमाल कर रही हैं।' स्नैपडील ने छह महीने में कोक्यूब्स के प्लेटफॉर्म से 22,000 लोगों का असेसमेंट किया है। एसएचआरएम इंडिया के एडवाइजरी हेड पुनीत राठी ने बताया कि प्रतिभाएं प्रतीक्षा नहीं करतीं। अगर किसी कंपनी की हायरिंग प्रक्रिया धीमी है तो टॉप परफॉर्मर वहां जाना पसंद नहीं करते। ओला कैब्स, क्विकर, फूडपांडा, प्रैक्टो और डब्लूएनएस जैसी स्टार्टअप और ऑनलाइन कारोबार करने वाली कई कंपनियों ने इसे अपनाया है। ओमेगा हेल्थकेयर के एचआर प्रमुख गुरुवयुरप्पन पीवी ने कहा कि हम हर महीने 600 नियुक्तियां करते हैं। हम भी टेस्ट और इंटरव्यू का सहारा लेते थे। अब स्पीड हायरिंग प्रोसेस से काफी मदद मिली है।
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक इसके जोखिम भी हैं। इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन के रितुपर्ण चक्रवर्ती ने कहा कि 2007-08 में बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और टेलीकॉम कंपनियों में भी ऐसा देखने को मिला था। अब समस्या ये है कि कई कंपनियों में मिड-लेवल पर जितना काम नहीं है उससे ज्यादा वहां कर्मचारी हैं। db
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