** बंद होने वाली पाठशालाओं में ज्यादातर कन्या पाठशालाएं
** अधिकारी बोले, रेशनेलाइजेशन के तहत मर्ज की हैं पाठशालाएं
कैथल : राजकीय प्राथमिकपाठशालाओं में बच्चों की संख्या का ग्राफ लगातार कम होने के कारण शिक्षा विभाग ने जिले की 14 प्राइमरी पाठशालाओं को बंद कर दिया है। इन पाठशालाओं के बच्चों को नजदीक की पाठशालाओं में शिफ्ट किया गया है। हैरानी की बात है कि भाजपा सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहीम के बावजूद जिले में बंद होने वाली राजकीय पाठशालाओं में ज्यादातर लड़कियों की पाठशालाएं हैं।
शिक्षा विभाग ने प्राथमिक पाठशालाओं में शिक्षा का स्तर सुधारने के नाम पर ज्यादातर कन्या पाठशालाओं को ही रेशनेलाइजेशन के तहत बंद किया है। यहां तक कि इन प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ाने वाले अध्यापकों को भी जरूरत के अनुसार शिफ्ट किया गया है। इसके साथ ही बच्चों को नजदीक की पाठशालाओं में भेजा गया है। छोटे बच्चों से पाठशालाएं दूर हो गई हैं।
ऐसे में बच्चों के माता-पिता ने मजबूर होकर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिल कराना शुरू कर दिया है। सरकार ने कन्या शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए गांवों शहरों में राजकीय कन्या स्कूल खोले थे। लोगों ने बेटियों को इन स्कूलों में दाखिल कराया। लेकिन प्राथमिक पाठशालाओं में अध्यापकों की कमी अध्यापकों पर गैर शिक्षक कार्यों का बोझ लादे जाने के कारण शिक्षा का स्तर भी गिरता चला गया। ऐसे में छात्राओं का ड्राप आउट बढ़ा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो उनका कहना है कि ज्यादातर प्राथमिक पाठशालाएं एक ही पाठशाला में चलाई जा रही थी। ऐसे में उस प्राथमिक पाठशाला को मर्ज किया गया है जहां बच्चे कम थे। अब रेशनेलाइजेशन के तहत बच्चों को पर्याप्त अध्यापक मिलेंगे और अध्यापकों को पर्याप्त बच्चों की संख्या।
ये 14 सरकारी स्कूल हो गए बंद
जीपीएसआहूं को राजकीय कन्या स्कूल आहूं, जीपीएस ढांड को राजकीय कन्या स्कूल ढांड, जीपीएस हजवाना को राजकीय कन्या स्कूल हजवाना, जीपीएस कैथल गेट पूंडरी को राजकीय प्राथमिक पाठशाला पाई गेट पूंडरी, कैथल नंबर 1 को नंबर 2, नंबर तीन को नंबर पांच, राजकीय प्राथमिक पाठशाला पट्टी अफगान को राजकीय कन्या स्कूल पट्टी अफगान, जीपीएस नौच को राजकीय कन्या स्कूल नौच में मर्ज कर दिया गया है। इसी प्रकार राजकीय प्राथमिक पाठशाला काकौत, देवीगढ़, सिणद, कोलेखां, ब्राह्मणी जाजनपुरी को भी नजदीक की राजकीय पाठशाला में पढ़ रहे बच्चों को भी पास के स्कूल में भेज दिया गया है। अब इन स्कूलों को सरकार की ओर से मिल रही सुविधाएं समाप्त कर दी गई हैं। बच्चों को नए स्कूलों में ही सुविधाएं मिलेंगी।
ड्रॉप आउट और बढ़ेगा
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष सतबीर गोयत ने बताया कि सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है। दूसरी तरफ बेटियों के स्कूलों को ही बंद किया जा रहा है। सरकार की बेटियों के प्रति दोहरी नीति समझ से परे हैं। प्राथमिक स्कूलों को बंद करने से बच्चों का ड्राप आउट कम नहीं होगा। बल्कि यह और बढ़ेगा। सरकार को छोटे बच्चों की स्कूल आने-जाने की दिक्कत को देखते हुए कम से कम ऐसे स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए जहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 20 से ऊपर हो। हैरानी की बाद है कि सरकार 150 बच्चों वाले स्कूलों को भी बंद करने जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इस नीति को बंद नहीं किया तो अध्यापक संघ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा।
मजबूरन करना पड़ा मर्ज
जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि कुछ स्कूल मजबूरन मर्ज करने पड़े हैं। इन स्कूलों बच्चों की संख्या काफी कम थी। शिक्षा विभाग के आदेशों पर कम बच्चों वाले स्कूलों को साथ के स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। बच्चों के साथ ही जहां जरूरत थी, वहां अध्यापकों को भी स्कूलों ें भेजा गया है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में बच्चों का ड्राप आउट कम होगा और बच्चों को गुणवत्ता पूरक शिक्षा मिलने से शिक्षा स्तर में भी सुधार होगा। db
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