फरीदाबाद : सरकारी स्कूलों की गिरती साख को फिर से उठाने की कवायद शुरू की गई है। यह जिम्मा शिक्षकों पर होगा। शिक्षक अपने स्कूल की ब्रांडिंग और मॉर्केटिंग करेंगे। सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्रों की घट रही संख्या ने शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है। स्कूलों के गिरते स्तर के लिए शिक्षकों के अलावा कई अन्य पहलुओं को जिम्मेदार माना जाता है। अब शिक्षा विभाग इस धारणा को बदलने की दिशा में कदम उठा रहा है। योजना के तहत सरकार जिले में एक स्कूल को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा देकर उसे निजी स्कूल की टक्कर में उतारेगी। कुछ इस तरह का खाका तैयार किया जा रहा है, जिससे लोगों की सरकारी स्कूलों के प्रति मानसिकता बदलेगी। सरकारी स्कूलों की ब्रांडिंग के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। पोस्टर बैनर का सहारा लिया जाएगा। इन पोस्टर पर सरकारी अध्यापकों की उच्च योग्यता एवं सरकारी स्कूलों में मिलने वाली निशुल्क सुविधाओं को विशेष रूप से दिखाया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार पलसवाल ने बताया कि सरकारी स्कूल की बजाए प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिलवाने की एक धरणा बन गई है। जिसे बदलने के लिए काम किया जाएगा।
बेहतर स्कूलों को मिलेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा
"प्रदेश के सरकारी शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनना होगा ताकि छात्र निजी शिक्षण संस्थानों का रुख न करें। सरकार की ओर से तैयार कराई जा रही नई शिक्षा नीति इसी पर आधारित होगी।"-- विजयवर्धन, अतिरिक्त सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, हरियाणा au
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