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Wednesday, 19 August 2015

इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय का सर्व कर्मचारी संघ ने किया स्वागत

फतेहाबाद : कांग्रेस व बीजेपी सरकार में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है। दोनों सरकार की नीतियां एक है। दोनों ही सरकारें मजदूरों, किसानों व कर्मचारियों का शोषण कर पूजीपतियों का लाभ पहुंचा रही है। यह बात सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा ने यहां के निजी होटल में एक प्रेसवार्ता में कही। 
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले आठ महीनों में 15 हजार लोगों से रोजगार छीन लिया है। प्रदेश व केन्द्र सरकार ऐसी कोई नीति नहीं बना रही जिससे विकास हो। बल्कि श्रम कानून को कमजोर करने के लिए बिल पेश किया जा रहा है। इस कारण सरकारी के नीतियों के विरोध में 2 सितम्बर को विभिन्न ट्रेड यूनियनें हड़ताल करेंगी। इस हड़ताल में समान काम समान वेतन, ठेका प्रथा बंद करने, वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग की जाएगी। वहीं हरियाणा राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के महासचिव सीएन भारती ने कहा कि सरकार नई शिक्षा नीति के नाम गुमराह कर रही है। उनके संघ की अप्रैल महीने में सीएम मनोहर लाल व शिक्षा के वित्तायुक्त टीसी गुप्ता के साथ बैठक हुई थी। जिसमें संघ ने सुझाव दिया था कि सरकारी कर्मचारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़े, ऐसा कानूनन प्रावधान किया जाना चाहिए। ऐसा करने से सरकारी स्कूलों का स्तर में सुधार आ सके, लेकिन उनके सुझाव पर सरकार ने गौर नहीं किया गया। वहीं इसी परिप्रेक्ष्य में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय का उनका संघ स्वागत करता है। 
उन्होंने आरोप लगाया कि जब अध्यापक अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रदर्शन करना चाहते है तो सरकार उन्हें दबाना चाहती है। इसीलिए सरकार ने 23 अगस्त को रविवार के दिन अध्यापकों को स्कूल में बुलाया है। लेकिन अध्यापक उस दिन स्कूल में न जाकर करनाल रैली में जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि करीब 10 हजार अध्यापक शिक्षक आक्रोश रैली में भाग लेंगे। वे छुट्टी रद्द करने के फरमान को नहीं मानेंगे।                                                                  dj9:01pm

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