चंडीगढ़ : हरियाणा के निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक गरीब बच्चों को 10 फीसदी सीटों पर दाखिला दिलाने का मामला अभी तक सिरे नहीं चढ़ सका है। कुछ स्कूलों ने तो शिक्षा विभाग के आदेश को अनमने ढंग से मान लिया है कि लेकिन अब भी कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने आरक्षित सीटों पर दाखिला देने में टालमटोल की नीति अपना रखी है। इस संबंध में लगातार मिल रही शिकायतों पर आखिरकार शिक्षा विभाग ने भी तेवर कड़े कर लिए हैं।
शुक्रवार को सेकेंडरी शिक्षा निदेशक ने प्रदेश से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और सभी जिला एलीमेंटरी शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा है कि ऐसा देखने में आ रहा है कि कुछ प्राइवेट स्कूल नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने के लिए विभाग द्वारा गत 12 अगस्त को जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं कर रहे। प्राइवेट स्कूलों को यह रुख सीधे तौर पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश की अवमानना है कि जिसमें ईडब्ल्यूएस और बीपीएल वर्ग के वच्चों को स्कूल में दाखिला दिया जाना अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही सेकेंडरी शिक्षा निदेशक ने पत्र में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को भी दोहराया है, जो इस प्रकार है। प्राइवेट अनएडेड स्कूलों को धारा 12 (1)(सी) और नियम 134ए के तहत बच्चों को इस आधार पर दाखिला देने से इंकार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि उन्हें सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही या उनकी सरकार की तरफ कोई पिछली अदायगी बकाया है। स्कूलों को उक्त धारा व नियम के तहत बच्चों को अदायगी बकाया रहने के बावजूद हर हाल में दाखिला देना होगा। जहां अभी तक अदायगी का भुगतान नहीं हुआ है, उन स्कूलों को अदायगी की राशि की भरपाई के लिए कार्रवाई का अधिकार है।
सेकेंडरी निदेशक द्वारा हाईकोर्ट के उक्त निर्देश का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है कि अब अगर कोई प्राइवेट स्कूल हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो वह अदालत की अवमानना का दोषी होगा। सेकेंडरी निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह भी आदेश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले को यकीनी बनाएं और यह भी ध्यान रखें कि कोई स्कूल बच्चों से वार्षिक शुल्क या फंड आदि के नाम पर अनावश्यक वसूली न करें।
अगर कोई स्कूल दाखिला नहीं देने या अनावश्यक फंड वसूली का दोषी पाया गया तो उसकी मान्यता तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी और इसके लिए कोई पूर्व कारण बताओ नोटिस भी जारी नहीं किया जाएगा, क्योंकि ऐसे स्कूल सीधे तौर पर हाईकोर्ट के आदेश को उल्लंघन के दोषी होंगे। au
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