कोटा : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में इस बार के दाखिले बदलते भारत की तस्वीर बताते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों ने 25% सीटों पर जगह बनाई है। पिछले साल एडमिशन लेने वालों में महज 10% ही ग्रामीण पृष्ठभूमि के थे।
आईआईटी में दाखिले के लिए जेईई-एडवांस 2015 का आयोजन आईआईटी बॉम्बे ने किया था। इसके मुताबिक, देश के 18 आईआईटी में 9,974 सीटों में से 900 लड़कियों ने आईआईटी सीटों पर जगह बनाई है। यानी कुल 9.03 प्रतिशत, जो 2014 के आठ प्रतिशत से ज्यादा है। एक स्टडी के मुताबिक, 1,600 छात्र ऐसे परिवारों से हैं, जिनके पिता की सालाना आय एक लाख रुपए से भी कम है। इनमें 1500 छात्र ऐसे भी हैं, जिनके पिता की सालाना आय आठ लाख रुपए से ज्यादा है।
माता-पिता की शैक्षणिक पृष्ठभूमि से जुड़ा अध्ययन कहता है कि 1,100 छात्रों के पिता सिर्फ दसवीं पास हैं। वहीं 250 छात्रों के पिता अनपढ़ हैं। वहीं 900 छात्रों की मां अनपढ़ हैं।
राजस्थान ने किया टॉप :
राजस्थान ने इस साल आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम में टॉप किया है। आईआईटी में दाखिला लेने वाले 19.7 प्रतिशत छात्र (1965) राजस्थान के हैं। वहीं दूसरे नंबर पर 1,259 छात्रों के साथ उत्तरप्रदेश रहा। पिछले साल आंध्र प्रदेश 776 छात्रों के साथ शीर्ष पर था। इस साल तेलंगाना के 770 छात्रों ने आईआईटी सीट हासिल की। अध्ययन के मुताबिक चुने गए छात्रों में हर पांचवें छात्र ने कोटा में पढ़ाई की है।
ज्यादातर बच्चों के पिता सरकारी कर्मचारी :
स्टडी रिपोर्ट में छात्र-छात्राओं के पिता के व्यवसाय का आकलन भी किया गया है। इसके मुताबिक 888 स्टूडेंट्स के पिता किसान हैं। जबकि 232 के डॉक्टर और 466 के इंजीनियर। 1,548 स्टूडेंट्स के पिता बिजनेस करते हैं। 2,989 के पिता सरकारी कर्मचारी हैं। जबकि 479 के पिता टीचर हैं। 6690 छात्रों की मां गृहणियां हैं। जिनका शैक्षणिक स्तर भी सामान्य ही है। db
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