नूंह/मेवात : मेवात जनपद के 5 विकास खंडों में निजी शिक्षण संस्थाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से बने आरोही स्कूल सफेद हाथी बनकर रह गये हैं। इन तैयार भवनों में कांटेदार झाड़ियाें आैर घास-फूस की भरमार है। इसके अलावा यह भवन असामाजिक तत्वों की शरणस्थली बन गये हैं।
हैरानी की बात यह है कि स्कूल प्रबंधन ने अभी तक इनका चार्ज तक नहीं संभाला है। गौरतलब है कि सरकार की योजना के तहत जनपद के तावड़ू, नूंह, नगीना, पुन्हाना व फिरोजपुर झिरका विकास खंडों में प्राइवेट स्कूलों के बढ़ते चलन को रोकने के मकसद से करोड़ों रुपये खर्च कर सरकारी आरोही स्कूल बनाये गये थे। संबंधित खंडों की पंचायतों ने इन स्कूलों के लिए जमीन मुहैया करायी थी। तावड़ू ब्लॉक के गांव बावला में लगभग साढ़े 7 एकड़ भूमि आरोही स्कूल के लिए दी थी और 2010-11 में एमडीए के तत्वावधान में शुरू की गयी परियोजना 2013 में पूरी हो गयी थी। हांलाकि, तावड़ू आरोही स्कूल के 9 से 12वीं तक के करीब 200 विद्यार्थियों के दाखिले तो शिक्षा विभाग ने करवा दिये हैं लेकिन उनकी कक्षाएं नये तैयार भवन की बजाय 12वीं तक के लड़कों के स्कूल में लग रही हैं।
अभिभावक अब्बास खान, हनीफ खान, के अलावा पूर्व विधायक शहीदा खां का कहना है कि मेवात जनपद के लोगों को आरोही स्कूल खुलने से उम्मीद बंधी थी कि अब उन्हें अपने बच्चों को तालीम दिलाने के लिए प्रादवेट स्कूलों में जेब ढीली नहीं करनी पड़ेगी। dt11015
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.