पानीपत : पावर (विभागीय शक्ति) को मोहताज खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी का पद
समाप्त कर दिया गया है। अब ब्लॉक स्तर पर बीईओ ही सर्वेसर्वा होंगे। इससे
एक दूसरे की खींचतान पर अंकुश लगेगा और कामकाज की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
ब्लॉक स्तर पर विभागीय कार्यो को सरल बनाने के लिए वर्ष 2011-12 में खंड
मौलिक शिक्षा अधिकारी (बीईईओ) का पद सृजित कर पहली से आठवीं कक्षा तक का
कार्य उन्हें सौंपा गया। नौंवी से 12वीं तक की फाइलें निपटाने का अधिकार
बीईओ को दिया गया। नए पद के सृजन होते ही प्रदेश भर के 119 ब्लॉकों में
बीईईओ लगा दिए गए। वरिष्ठता सूची आने के बाद पदोन्नत कर खंड शिक्षा अधिकारी
के पद पर भेज दिया गया। दो अधिकारी के एक ब्लॉक में रहने की बात रास नहीं
आई। बीईईओ को किसी तरह की सुविधा नहीं मिली। भवन, स्टाफ व पावर को मोहताज
रहे। डीडी पावर न दिए जाने से तनख्वाह के लिए बीईओ पर निर्भर रहने लगे।
ज्यादातर ब्लॉकों में दोनों अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान के चलते
अनुशासन भंग होने की आशंका रहती।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से बृहस्पतिवार
को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र (4/1-2015 एचआरजी 1 (4)) जारी
किया है। पत्र में कहा गया है कि ब्लॉकों में खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी का
कामकाज अब बीईओ संभालेंगे।
विभाग ने बीईईओ के पद को स्वीकृति प्रदान नहीं
की है। ब्लॉकों में रिक्त पड़े बीईओ के पद को बीईईओ के वरिष्ठता सूची को
आधार मानकर भरा जाए। इस फैसले से ब्लॉकों में तैनात खंड मौलिक शिक्षा
अधिकारी अब पदोन्नति का बेसब्री से इंतजार करेंगे।
बिना स्टाफ
के गुजारे चार साल
बीईईओ का पद सृजित करने के बाद उन्हें अलग से कोई
स्टाफ मुहैया नहीं कराया गया। बीईओ कार्यालय से जैसे तैसे स्टाफ की साझा
व्यवस्था कर कामकाज चलाया गया। देखते ही देखते चार वर्ष बीत गए। निदेशालय
के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आपसी खींचतान से बचने व ब्लॉक स्तर पर
विभागीय कार्यो को रफ्तार पकड़ाने के लिए यह फैसला लिया गया। शिक्षा में
इससे अच्छा सुधार देखने को मिलेगा। dj
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