चंडीगढ़ : अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करने से पहले ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ ने हरियाणा सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा के तहत बुजुर्ग सम्मान भत्ता राशि में जनवरी से की गई 200 रुपए की बढ़ोत्तरी से सरकारी खजाने पर 600 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पहले ही आने वाला है। इसके अलावा जीएसटी लागू होने से राज्य की राजस्व आय भी प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए धन जुटाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। आशंका यह है कि प्रदेशवासियों को नए साल में भी महंगाई से शायद ही राहत मिल पाए।
वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने वीरवार को यहां हरियाणा निवास में बजट पूर्व चर्चा के लिए बुलाई गई कार्यशाला के बाद मीडिया से बातचीत में यह संकेत दिए। उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पूंजीगत निवेश को बढ़ाना होगा। इसके लिए सरकार वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में कुछ अहम कदम उठाने जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों से प्रदेश की प्राथमिकताओं पर चर्चा हुई है। अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और अन्य विद्वानों से भी राय ली जा रही है ताकि प्रदेशवासियों की अपेक्षाओं के अनुरूप बजट को अंतिम रूप दिया जा सके। एचएमटी मशीन टूल्स पिंजौर को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार के अधिकारियों से बात हुई है। जल्दी ही इस दिशा में कोई निर्णय लिया जाएगा।
सरकार के सामने ये चुनौतियां भी
भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में प्रदेश के कर्मचारियों से उन्हें पंजाब के समान वेतनमान देने, शिक्षित बेरोजगारों को 6000 और 9000 रुपए मासिक बेरोजगारी भत्ता देने, आउटसोर्सिंग में लगे कर्मचारियों को रेगुलर करने जैसे कई वायदे किए हुए हैं। मौजूदा राज्य कर्मचारियों की छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पैदा हुई विसंगतियों को दूर करने के लिए पहले ही माधवन कमेटी बनी हुई है। चुनाव घोषणा-पत्र को लागू करने से सरकार पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा। साथ ही अपेक्षानुसार राजस्व आय बढ़ाना भी बड़ी चुनौती है। db
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