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Saturday, 16 January 2016

वजीफे के फर्जी खातों पर कसेगा शिकंजा

** आइएफएससी कोड उपलब्ध न कराने पर वित्तायुक्त सख्त
** हिदायत के बावजूद खाते को आधार से जोड़े बिना भुगतान
पानीपत : फर्जी नामांकन के सहारे वजीफे (स्टाइपेंड) का पैसा हड़पने वाले शिक्षकों पर विजिलेंस का शिकंजा कसेगा। विभागीय अधिकारी भी इस लपेटे में आएंगे। वित्तायुक्त व प्रधान सचिव की इस पहल से स्कूल स्तर पर घोटाले उजागर होंगे। लाभार्थियों को उचित हक मिलेगा। 
राजकीय विद्यालयों में शिक्षा हासिल करने वाले पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को वजीफा दिया जाता है। बीपीएल, बीसी (ए) व बीसी (बी) को त्रैमासिक नकद राशि दी जाती है। एससी कैटेगरी के बच्चों को मंथली व साल में एक बार दो स्कीमों के तहत वजीफे दिए जाते हैं। स्कूलों में फर्जी नामांकन होने के चलते लाखों की राशि गोलमाल कर दी जाती है। फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए विभाग इसे ऑनलाइन करने में जुटा है। जिले में पदस्थ अधिकारियों को को बार-बार हिदायत देने के बावजूद नामांकन का ब्योरा ऑनलाइन नहीं किया जा रहा। बैंक खाते को आधार से जोड़ने व आइएफएससी कोड उपलब्ध कराने में देरी की जा रही है। 
शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने बीते दिनों डीईओ व डीईईओ की बैठक में बैंक खातों को आधार से न जोड़ने का कारण जानना चाहा। एक दो जिलों को छोड़कर ज्यादातर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। प्रधान सचिव ने दो टूक शब्दों में सुना दिया कि बैंक खाते को आधार व आइएफएससी कोड से जोड़ने में प्रधानाचार्य व मुख्याध्यापक गंभीरता नहीं दिखा रहे। प्रत्येक जिले में कई सरकारी स्कूलों में लिंकअप किए बिना भुगतान कर दिया गया। पारदर्शिता में कमी रहने पर इन स्कूलों में विजिलेंस जांच करवा जाएंगी। 
प्रधान सचिव के इस फरमान से अधिकारी सकते में हैं। जिन स्कूलों में वितरण में अनियमितता हुई है वहां खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर स्कूल इंचार्जो पर गाज गिरना तय है।                                                            dj 

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