चंडीगढ़ : प्रदेश में इस साल पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं नहीं होंगी। केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम में अभी तक संशोधन नहीं किया है। हरियाणा सरकार केंद्र का इंतजार कर रही है। जब से आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा बंद हुई है, तभी से दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के परीक्षा परिणाण काफी गिर गए हैं।
2010 से पेपर बंद
पांचवीं कक्षा तक की परीक्षा वैसे तो स्कूल में ली जाती थी मगर जो बच्चा कमजोर होता था, उसे पास नहीं किया जाता था। इसी तरह आठवीं की परीक्षा शक्षा बोर्ड लेता था मगर हरियाणा में आरटीई कानून 2010 में लागू हुआ था और बोर्ड ने आठवीं कक्षा की परीक्षा लेनी बंद कर दी थी। आठवीं कक्षा के विद्यार्थी बिना बोर्ड परीक्षा के पास कर दिए गए और वे नौवीं कक्षा में दाखिल कर दिए। इसके बाद कांग्रेस शासित राज्यों ने आवाज उठाई तो केंद्र ने भुक्कल कमेटी गठित की थी। कमेटी ने आठवीं में बोर्ड परीक्षाएं लेने की सिफारिश की थी।
इंतजार करना पड़ेगा
"हमने केंद्र से सिफारिश की है कि आठवीं और पांचवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षाएं ली जाएं। दो-तीन दिन बाद बताने में सक्षम होऊंगा कि ये परीक्षाएं बोर्ड की होंगी या नहीं।"--राम बिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री
इस सत्र में ये परीक्षाएं बोर्ड की नहीं होंगी
"हरियाणा समेत कई राज्यों ने केंद्र से सिफारिश कर रखी है कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षा शुरू की जाए। कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं मगर शिक्षा का अधिकार अधिनियम में केंद्र सरकार को संशोधन करना है। जब तक संशोधन नहीं होगा तब तक ये परीक्षाएं नहीं होंगी। इस साल ये परीक्षाएं बोर्ड की नहीं होंगी। अगर संशोधन हुआ तो अगले शैक्षणिक सत्र से ये परीक्षाएं हो सकेंगी।"-- आरएस खरब, निदेशक, मौलिक शिक्षा, हरियाणा
सीएम ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा हालांकि कई बार घोषणा कर चुके हैं कि पांचवीं और आठवीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी। मगर हरिभूमि ने खोज की तो पाया कि शैक्षणिक सत्र 2015-16 के दौरान ये परीक्षाएं बोर्ड की तरफ से आयोजित नहीं की जाएंगी। अलबत्ता, हरियाणा समेत करीब डेढ़ दर्जन रज् यों ने केंद्र को सिफारिश की है कि पांचवीं और आठवीं कक्षा तक किसी भी स्टूडेंट को फेल न करने की नीति में बदलाव किया जाए। इससे परिणाम गिर रहे हैं।
कांग्रेस शासनकाल में लागू हुआ था आरटीई कानून:
कांग्रेस शासनकाल में केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया था। इसके तहत 14 साल तक के बगाों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला था। इसके तहत बगो की जितनी भी उम्र होगी, उसे उसी अनुसार पहली से आठवीं कक्षा तक किसी भी कक्षा में दाखिल करना होगा।
फेल नहीं किया जाएगा
उसकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए अतिरिक्त कोचिंग की व्यवस्था करनी होगी। कानून में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी बच्चे को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जाएगा और उसे हर साल अगली कक्षा में दाखिल किया जाएगा। hb
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