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Friday, 15 January 2016

सुधार की पहल : नौवीं-दसवीं के विद्यार्थियों को भी पढ़ाएंगे प्राध्यापक

** खराब परीक्षा परीणाम आने पर विभाग ने दिए निर्देश
** शिक्षकों की कमी को देखते हुए उठाया कदम

** शिक्षा स्तर सुधारने के लिए अपनी कक्षाओं के अलावा दूसरी कक्षाओं को देना पड़ेगा समय
फतेहाबाद: शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए एक नये प्रयोग पर काम करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत प्राध्यापकों व शिक्षकों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जा रही है। विभाग ने आदेश दिये हैं कि अब प्राध्यापक नौवीं व दसवीं और मास्टर छठी व आठवीं को पढ़ाएंगे। इस बाद प्रदेशभर में इस बार दसवीं का प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम काफी खराब रहा है। खराब आने की वजह को लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी थी। जवाब में तकरीबन सभी स्कूल मुखियाओं ने खराब परिणाम आने का कारण स्कूलों में शिक्षकों की कमी बताया। इस समस्या को देखते हुए शिक्षा विभाग कार्यशैली में बदलाव करने जा रहा है। विभाग ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर आदेश दिये हैं कि अब सीनियर सेकेंडरी में लगे प्राध्यापक ग्यारहवीं व बारहवीं की कक्षाओं को पढ़ाने के अलावा नौवीं व दसवीं की कक्षाओं को भी पढाएंगे। इसके साथ ही हाई स्कूल के मास्टर अब नौवीं व दसवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के साथ ही छठी से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं को भी पढ़ाएंगे। अगर स्कूल में प्राध्यापक व मास्टर ज्यादा हैं तो उन्हें दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।

पहले अपनी कक्षा संभालेंगे प्राध्यापक, बाद में दूसरी कक्षा 
विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार प्राध्यापक पहले अपनी कक्षाओं को प्राथमिकता देंगे। वे पहले ग्यारहवीं व बारहवीं की कक्षा लगाएंगे। इसके बाद ही दूसरी कक्षाओं में जाएंगे। इसी अनुसार मास्टर भी अपने कक्षा लगाने के बाद ही दूसरी कक्षाओं में जाएंगे। प्रत्येक प्राध्यापक को महीने में कम से कम 25 व ज्यादा से ज्यादा 36 पीरियड लगाने होंगे और मास्टर को कम से कम 30 व ज्यादा से ज्यादा 40 पीरियड लगाने होंगे।
जो विषय हैं, वहीं पढ़ाएंगे 
अगर प्राध्यापक के पास हिंदी विषय है तो वह अन्य कक्षा में भी हिंदी ही पढ़ाएगा। किसी भी प्राध्यापक या मास्टर को कोई दूसरा विषय पढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यदि किसी विषय में विशेष रूचि व ज्ञान है तो अलग बात है। वह प्राध्यापक की इच्छा अनुसार तय हो जाएगा कि कौन क्या पढ़ाना चाहता है। यह सभी निर्णय स्कूल मुखियाओं की देखरेख में लिये जाएंगे।
पत्र मिल चुका है: डीईओ 
जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा ने बताया कि विभाग स्कूलों में शिक्षा स्तर को सुधारना चाहता है। विभाग की कोशिश यही है कि मानव संसाधनों को बेहतर तरीके से प्रयोग किया जाए। इसलिए प्राध्यापकों व मास्टरों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। 

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