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Monday, 11 January 2016

पंजाब के समान वेतनमान देने की नहीं होगी सिफारिश

** कर्मचारियों की वेतन विसंगति हो सकती है दूर। आयोग ने 200 से ज्यादा प्रतिवेदनों पर विचार किया।
** वेतन विसंगति आयोग के चेयरमैन जी. माधवन रिपार्ट अगले माह
चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार के कर्मचारियों और अफसरों के वेतन में छठे वेतन आयोग के बाद आई विसंगति को दूर करने के लिए सितंबर 2014 में गठित वेतन विसंगति आयोग पंजाब के समान वेतनमान देने की सिफारिश नहीं करेगा। अलबत्ता आयोग की रिपोर्ट अगले महीने राज्य सरकार को सौंप दी जाएगी। आयोग का कार्यकाल 10 मार्च, 2016 को समाप्त हो जाएगा। इस आयोग के गठन की अधिसूचना तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने की थी। यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिल पाई। 
वेतन विसंगति आयोग के अध्यक्ष जी. माधवन ने हरिभूमि के साथ विशेष बातचीत में कहा कि वे अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उनके पास 200 से ज्यादा प्रतिवेदन आए हैं। सरकार ने भी उनसे पूछा है कि रिपोर्ट कब तक दे दी जाएगी। आयोग ने सरकार से कहा है कि यह रिपोर्ट जल्द देने का प्रयास करेंगे मगर 10 मार्च, 2016 के बाद कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
ये थे आयोग के मूल बिंदू
जब कांग्रेस सरकार में वेतन विसंगति आयोग का गठन किया गया था तब आयोग को इन मूल बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था - ‘हरियाणा सिविल सर्विसेस (रिवाइज्ड पे) रूल्स, 2008 और हरियाणा सिविल सर्विसेस (एसीपी) रूल्स, 2008 और समय-समय पर उनके संशोधनों को लागू करने से पैदा हुई वेतन विसंगति पर कर्मचारियों के व्यक्तिगत/ एसोसिएशनों/ यूनियनों के प्रतिवेदनों को लेना और उन पर विचार करना और सरकार को उनके प्रतिवेदनों पर उचित सिफारिश करना।’ आयोग का कार्यकाल छह महीने तय किया गया था मगर इसे बढ़ाया जा सकता था। 
इसलिए नहीं होगी सिफारिश 
हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में 26 अक्टूबर, 2014 को भाजपा सरकार बनी। भाजपा सरकार ने 9 फरवरी, 2015 को इस आयोग के मूल बिंदुओं में एक बिंदू और जोड़ दिया जिस पर आयोग को सिफारिश करनी है। वह है - ‘पंजाब एवं हरियाणा के बीच योग्यता की शर्तें, पे स्केल, अन्य बेनिफिट यानी एलटीसी, पेमेंट एंड अतिरिक्त डीए की किस्तें जारी करना, उनके एरियर और नई भर्ती होने वालों का शुरू के वर्षों में मिलने वाले वास्तविक पे स्केल और अन्य के अंतर को स्टडी करना। ’ इसका सीधा मतलब है कि दोनों राज्यों के कर्मचारियों की सेवा शतरें, पे स्केल, भर्ती के लिए योग्यताएं और अन्य की स्टडी तो करनी है मगर उनके बारे में सिफारिश नहीं करनी है। 
दो बार बढ़ चुका है कार्यकाल
जी. माधवन वेतन विसंगति आयोग का गठन 10 मार्च, 2015 तक हुआ था। भाजपा सरकार ने यह कार्यकाल बढ़ाकर 11 सितंबर, 2015 तक कर दिया। उसके बाद सरकार ने फिर छह महीने की बढ़ोतरी करते हुए 10 मार्च, 2016 तय कर दी।
हालांकि वेतन विसंगति आयोग की रिपोर्ट अभी सरकार को सौंपी जानी है मगर आयोग ने 200 से ज्यादा मिले प्रतिवेदनों पर एक-एक बिंदू पर चर्चा की। यूनियन नेताओं और अफसरों के साथ कई दौर की मीटिंग की। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक वाईपी सिंगल ने अपने मुलाजिमों को पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। मिनिस्ट्रियल स्टाफ ने भी पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। दो अन्य कैटेगरी के कर्मचारियों ने पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। कई ने सिर्फ वेतन में आए अंतर को दुरुस्त करने की मांग की। किसी ने ग्रेड पे के अंतर को पाटने की मांग की। इस आधार पर उम्मीद है कि आयोग कर्मचारियों के कुछ वगरें के वेतन में आई विसंगति को दूर करने की सिफारिश कर सकता है
जल्द दे देंगे रिपोर्ट
"हमारे पास 200 से ज्यादा प्रतिवेदन आए हैं। हमने सुनवाई कर ली है। अब रिपोर्ट तैयार हो रही है। हम जल्द ही अपनी रिपोर्ट दे देंगे मगर किसी भी सूरत में 10 मार्च, 2016 से पहले यह रिपोर्ट दे दी जाएगी। पंजाब के समान वेतनमान देने की सिफारिश इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि सरकार ने केवल स्टडी करने के लिए कहा है न कि सिफारिश करने के लिए।"-- जी. माधवन, चेयरमैन, वेतन विसंगति आयोग, हरियाणा                                                                              hb 






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