** हाईकोर्ट ने कहा, अगर यही हाल रहा तो नर्सरी करने विदेश जाना पड़ेगा
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के पास निजी स्कूलों के खिलाफ परिजनों की
शिकायतें आती हैं, तो सरकार उन पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करती। छह माह
से इन शिकायतों को लेकर क्यों बैठी है? सरकार को इतना तो हौसला दिखाना
होगा। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने नर्सरी दाखिले में निजी स्कूलों का प्रबंधन
कोटा खत्म करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की।
न्यायमूर्ति
मनमोहन की पीठ के समक्ष उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने
सीलबंद लिफाफे में परिजनों की शिकायतें पेश कीं। सिसोदिया ने कहा कि निजी
स्कूलों ने लूट मचा रखी है। स्कूल प्रशासन 100 रुपये लगाता है और 300 रुपये
कमाने की सोचता है। अधिकांश निजी स्कूल या तो किसी नेता के या फिर बड़े
अधिकारियों के हैं। इन पर लगाम लगाना जरूरी है। पिछले एक साल में करीब 99
फीसद सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार किया गया है। शिक्षकों के अलावा
बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। कुछ प्रधानाचार्यो को ट्रेनिंग लेने
के लिए हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) तक भेजा गया है।
सिसोदिया ने कहा
कि अगर वह खुद शिकायतों पर कार्रवाई करते हैं तो बच्चे को स्कूल से निकालने
व माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई होने का डर है। इस पर अदालत ने कहा की
नियमों के अनुसार वह जानकारी छुपा नहीं सकते। अगर वह यह जानकारी देंगे तो
इसे सार्वजनिक करना ही पड़ेगा। अदालत ने कहा कि राजधानी में सरकारी स्कूलों
की हालत खस्ता है। गत वर्ष अदालत द्वारा वकीलों की कमेटी से कराए सर्वे
में पता चला था कि स्कूलों में पीने का पानी, शौचालय तक नहीं हैं। मानसून
में स्कूलों में पानी भरने से बीमार होने पर एक-दो बच्चों की मौत तक हो
जाती है। न्यायमूर्ति ने कहा कि जब मैं पढ़ता था तो लोग पोस्ट डिप्लोमा से
ऊपर के कोर्स करने विदेश जाते थे, लेकिन आने वाले समय में लगता है बच्चे
नर्सरी करने भी विदेश जाएंगे। 1सिसोदिया ने कहा कि वह यहां बहस करने नहीं,
अदालत से निवेदन करने आए हैं कि दिल्लीवासी निजी स्कूलों की मनमानी से दुखी
हैं। स्कूल कुछ भी दलील दें, लेकिन इन लोगों ने स्कूलों को लूट का अड्डा
बना रखा है। इसे खत्म करने के लिए सरकार और अदालत दोनों को ही मिलकर काम
करना पड़ेगा।
अदालत ने कहा कि यह सही है कि कुछ निजी स्कूलों में दाखिला
प्रक्रिया में धांधली होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सरकार टोकरी
भरकर ऐसे प्रावधान ले आए, जिनका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें रद
करवाना चाहे हम मानते हैं कि स्कूलों के पास स्वतंत्रता है, लेकिन कार्य
स्वतंत्रता गलत नहीं है। कुछ लोग बुरे हैं तो कुछ अच्छे भी हैं, हम वैश्विक
दुनिया में रहते हैं। हम चाहते है कि देश में शिक्षा के स्तर में सुधार
आए। ऐसे तो निजी संस्था इस क्षेत्र में आगे नहीं आएगी। जीवन में बहुत सारी
उलझनें हैं। हमें इस समस्या की जड़ को समझना होगा। सरकार जिस कोटे पर रोक
लगाना चाहती है, उसमें कुछ तर्कसंगत हो। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा
कि सिसोदिया कोर्ट में राजनीतिक बयान दे रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 1
फरवरी को होगी।
यह है मामला
राजधानी के करीब 400 निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी व फोरम
फॉर प्रमोशन ऑफ क्वालिटी एजुकेशन फॉर ऑल ने हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं
दायर की हैं। उन्होंने शिक्षा निदेशालय के उस आदेश को रद करने का आग्रह
किया, जिसमें मैनेजमेंट कोटा खत्म किया गया है। मामले में सरकार का कहना है
कि कोटे के नाम पर बच्चों से भेदभाव किया जा रहा है। यही कारण है की इसे
खत्म किया गया है। dj
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