नई दिल्ली : सुस्त पड़ी निवेश की रफ्तार को गति देने के लिए सरकार
सार्वजनिक-निजी साङोदारी यानी पीपीपी मॉडल को आम बजट 2016-17 में नए अवतार
में पेश करेगी। केंद्र सड़क, रेल, हवाई परिवहन और बंदरगाह में मौजूदा
पीपीपी मॉडल में व्यापक फेरबदल के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र
में भी निजी साङोदारी को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा हो सकती है। माना
जा रहा है कि ‘पीपीपी 3.0’ न सिर्फ बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय अनुभवों पर
आधारित होगा बल्कि यह घरेलू परिस्थितियों के अनुकूल होगा जिससे निजी निवेश
में वृद्धि की राह आसान होगी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार पीपीपी मॉडल को नया
अवतार देते हुए हर क्षेत्र के मौजूदा ‘मॉडल कंसेसनरी एग्रीमेंट्स’ व्यापक
बदलाव करेगी। जिन पीपीपी परियोजनाओं के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता होती है
उनके लिए आरएफपी जारी करने से पहले 80 प्रतिशत जमीन की उपलब्धता को
अनिवार्य बनाया जा सकता है। इसके अलावा पीपीपी के लिए एक विधायी ढांचा
बनाते हुए एक कानून बनाने तथा विवाद निस्तारण के लिए समुचित तंत्र बनाने की
दिशा में भी कदम बढ़ाया जा सकता है। साथ ही पीपीपी के लिए राजकोषीय
प्रोत्साहनों के साथ-साथ आसानी से फंडिंग उपलब्ध कराने के उपायों का ऐलान
आम बजट में किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में निवेश की
रफ्तार लगातार कई वर्षो से सुस्त पड़ रही है। इसीलिए निवेश बढ़ाने के उपाय
के तौर पर पीपीपी को आकर्षक बनाना जरूरी है।1 सरकार ने इसके लिए केलकर
समिति का गठन भी किया था। समिति की सिफारिशों को आम बजट के माध्यम से अमल
में लाया जा सकता है। दरअसल बीते वर्षो में सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(जीएफसीएफ) में लगातार गिरावट आ रही है।1 वित्त वर्ष 2011-12 में प्रचलित
मूल्यों पर जीएफसीएफ 33.6 प्रतिशत था जो 2014-15 में घटकर 28.7 प्रतिशत रह
गया है। नीति आयोग के मुताबिक 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान ढांचागत
क्षेत्र में 23,74,307 करोड़ रुपये निवेश हुआ था जो कि 10वीं पंचवर्षीय
योजना में हुए निवेश 8,37,159 करोड़ रुपये से तकरीबन तीन गुना था। dj
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