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Thursday, 14 January 2016

पंचायती चुनावों व छुट्टियों की भेंट चढ़ा जनवरी

** चुनाव में बड़े पैमाने पर गुरूजी ड्यूटी पर, स्कूल बंद होने से सिलेबस पूरा होना मुश्किल 

अंबाला शहर : जनवरी का महीना स्कूली बच्चों पर पढ़ाई को लेकर बड़ा भारी पड़ रहा है। एक ओर इस महीने में पड़ी छुट्टियों के कारण पहले से ही पढ़ाई बाधित हो रही थी तो दूसरी शेष कसर पंचायती चुनाव ने पूरी कर दी जिसमें बड़ी संख्या में गुरुजन चुनावी ड्यूटी बजा रहे हैं। अगले एक महीने में जबरन या जल्दबाजी में सलेबस पूरा करवाने की कवायद की जाने की संभावनाएं हैं लेकिन उससे परिणाम कैसे बढ़िया आएंगे यह भविष्य के गर्भ में है।

दरअसल स्कूलों के घटिया परिणाम आने के कारण सरकारी स्कूल व उनके शिक्षक पहले से ही हर किसी के निशाने पर आते रहे हैं। कभी आंदोलन तो कभी अन्य कारणों के चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बाधित होती रही है। लेकिन पंचायती चुनावों में शिक्षकों की ड्यूटी होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बड़े पैमाने पर बाधित हो रही है। बोर्ड की ओर से मार्च माह में परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। 
विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम अभी पूरा भी नहीं हो पाया है। वैसे भी जनवरी के महीने में 1 से 8 तक शीतकालीन अवकाश तो 9 जनवरी दूसरा शनिवार होने के कारण अवकाश रहा तो 10 जनवरी को रविवार होने के कारण स्कूल बंद रहे। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर स्थानीय अवकाश का प्रावधान तो 16 जनवरी को गुरु गो¨बद सिंह जयंती के कारण, 17 जनवरी को रविवार का अवकाश रहना है। इसी तरह 24 जनवरी रविवार, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर छुट्टी सा माहौल, 27 जनवरी रेस्ट डे व 31 जनवरी रविवार का अवकाश है। बीच में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों में जुटे स्कूलों में इस कारण से पढ़ाई बाधित होनी है। 
तीन चरणों में होने वाले चुनाव में एक अनुमान के अनुसार जिले के एक हजार शिक्षक चुनाव ड्यूटी पर हैं जो मतगणना तक ड्यूटी पर रहने हैं। चुनावी रिहर्सल हो या मतदान से एक दिन पूर्व मतदान केंद्र पर पहुंचने के लिए चुनावी सामग्री एकत्र करनी हो, अध्यापक ड्यूटी देने को मजबूर हैं तो स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को बाधित होते देख अभिभावकों का चिंतित होना स्वाभाविक है, लेकिन उनकी इस चिंता को समझने का व्यवस्था के पास समय व समझ नहीं है। हालांकि आम तौर पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। 
लेकिन इसमें वह बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं जो मेधावी हैं या परिस्थितियों के कारण सरकारी स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। पहले चुनावी शोरगुल में उनकी पढ़ाई बाधित हुई, अब शिक्षकों की चुनावों में ड्यूटी के चलते बाधित हो रही है। एक अधिकारी की माने तो बेहतर परिणामों के लिए पंचायती चुनाव ड्यूटी के कारण क्षति को पूरा करने के लिए परीक्षाओं स्थगित किया जाना ही एक विकल्प है अन्यथा खुदा ही मालिक है।                                                        dj 

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