शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद राजकीय
विद्यालयों में पहली से आठवीं तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए ही अगली
कक्षाओं में नामांकित कर दिया जाता। तीन चार वर्षो में शिक्षा की गुणवत्ता
प्रभावित होने लगी। सतत व्यापक मूल्यांकन प्रणाली को असरदार बनाने के लिए
राजकीय प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में मासिक मूल्यांकन टेस्ट की प्रक्रिया
शुरू की गई। मई, 2015 से फरवरी 2016 तक सात मासिक टेस्ट लिए जाने के बाद
वार्षिक परीक्षा मार्च महीने में होगी। आठवीं कक्षा तक के बच्चों को इस
परीक्षा में बैठना अनिवार्य है। परीक्षा में किस विषय में कितने छात्र
बैठेंगे, उसी हिसाब से प्रश्न पत्रों की छपाई कराई जाएगी।
मूल्यांकन कार्य में पारदर्शिता बरती जाएगी
वार्षिक परीक्षा का मूल्यांकन दूसरे स्कूलों के शिक्षक के कंधों पर होगा। मूल्यांकन के आधार पर पता चलेगा कि गुरुजी ने कितनी ईमानदारी से बच्चों को शिक्षित किया। अधिकारियों के दावे के बावजूद लर्निग स्तर में कितना सुधार आया।
उत्तर पुस्तिका रखेंगे सुरक्षित:
उत्तर पुस्तिका एक वर्ष तक सुरक्षित रखने की हिदायत दी गई है। सतत मूल्यांकन पद्धति का यही असली आधार बनेगा।
प्रदेश भर में एक ही तिथि को एक विषय की परीक्षा ली जाएगी
निदेशालय एससीईआरटी के अनुभवी वरिष्ठ प्राध्यापकों की देखरेख में प्रश्न पत्र तैयार कराएगा। प्रश्न पत्र में गुणवत्ता पर विशेष जोर रहेगा। एससीईआरटी में बीते सप्ताह बुलाई गई बैठक में खंड शिक्षा अधिकारियों को जनवरी के प्रथम सप्ताह तक छात्र संख्या अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। dj
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