नई दिल्ली : केंद्र सरकार के अफसरों को अब विभिन्न बैठकों में जाने के लिए अब अलग से भत्ता नहीं मिलेगा। सरकारी संस्थानों को आदेश जारी किया गया है कि वे सरकारी अफसरों को यह भत्ता देना बंद करें। जबकि निजी संस्थानों को कहा गया है कि वह इस राशि को अफसर के नाम पर नहीं बल्कि सरकार के नाम पर जारी करें।
यानी अब निजी संस्थानों में बतौर नियामक मौजूद सरकारी कार्मिकों को मिलने वाला बैठक भत्ता उनकी जेब में नहीं बल्कि सरकारी खाते में जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बारे में सभी महकमों को आदेश जारी कर दिए हैं। दरअसल, तकनीकी संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कालेजों एवं अन्य संस्थानों में बड़े पैमाने पर सरकारी अफसर सदस्य या अन्य मानद पदाधिकारी बने हुए हैं। मसलन, वे बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, कार्यकारी परिषद, कार्यकारिणी, एडवाइजरी बॉडी आदि में शामिल होते हैं। उन्हें बैठकों में हिस्सा लेने के लिए जाना पड़ता है।
बैठक में बैठने के लिए उन्हें भत्ता दिया जाता है जो प्रतिदिन अधिकतम पांच हजार रुपये तक होता है।
मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी संस्थान सरकारी कार्मिकों को यह भत्ता देना बंद कर दें। यदि निजी संस्थानों में सरकारी कार्मिक सदस्य या पदाधिकारी हैं और वे बैठक में शामिल होते हैं तो यह राशि अधिकारी के नाम से नहीं बल्कि सरकार के नाम से जारी होगी जिसे सरकारी खजाने में जमा कराना होगा।
बता दें कि मंत्रालयों के संयुक्त सचिव, सचिव, निदेशक दर्जनों संस्थानों में जुड़े होते हैं और बैठकों में भाग लेते हैं जिससे उन्हें खासी कमाई भी हो जाती है। लेकिन अब यह नहीं हो पाएगा। कार्मिक मंत्रालय का यह आदेश सभी मंत्रालय पर लागू है। LH
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