फरीदाबाद : सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने सरकार को कर्मचारियों की नीतिगत मांगों का समाधान करने और 10 दिसम्बर को मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में स्वीकार की गई मांगों को लागू करने के लिए 2 महीने का समय और देने का निर्णय लिया है। इन 2 महीनों में 10 दिसम्बर को सरकार को दिए मांग-पत्र में दर्ज कर्मचारियों की मांगों का समाधान करने की ठोस पहल नहीं की गई तो प्रदेश के कर्मचारी हरियाणा विधानसभा कूच करेंगे। यह जानकारी देते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा ने बताया कि कर्मचारी विधानसभा कूच से पहले 7 फरवरी को सत्तापक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों के आवासों पर प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें कर्मचारियों की मागों को बजट-सत्र में उठाने की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि 10 जनवरी को महिला कर्मचारियों को संगठित करके भावी आन्दोलनों में जोड़ने के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन रोहतक में किया जाएगा।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य उप प्रधान नरेश शास्त्री, मुख्य संगठनकर्ता विरेन्द्र डंगवाल, जिला प्रधान लज्जाराम,सचिव युद्धवीर खत्री ने बताया कि इस दौरान अपना सांगठनिक ढांचा चुस्त-दुरुस्त करने के लिए 15 जनवरी से 29 फरवरी तक जिला सम्मेलन एवं जिला कमेटियों के चुनाव व अप्रैल में राज्य स्तरीय सम्मेलन करवाने का भी निर्णय लिया है।
संघ ने उक्त निर्णय 10 दिसम्बर को मुख्यमन्त्री के साथ हुई मीटिंग में सरकार का कर्मचारियों की मागों के प्रति रुख की विस्तृत समीक्षा करने के बाद लिया है। पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए संघ ने जनवरी माह में किए जाने वाले कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है। संघ ने आरोप लगाया है कि सरकार नई परिवहन नीति के नाम पर रोडवेज बेड़े में निजी बसों को घुसाने के प्रयास में है। बिजली जैसे अति महत्वपूर्ण विभाग में सब डिविजनों को प्राईवेट हाथों में देने का प्रयास कर रही है जिसका तीखा विरोध किया जाएगा।
7वें वेतन आयोग से पहले दूर करें विसंगतियां
लाम्बा ने बताया कि भाजपा सरकार कर्मचारियों की प्रमुख नीतिगत मांगों जैसे पंजाब के समान वेतनमान देने, छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने, सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, समान काम समान वेतन देने के सिद्धांत को लागू करते हुए ठेका कर्मियों को पक्के कर्मचारियों के समान वेतन देने, आऊटसोर्सिंग-ठेका प्रथा की नीतियों पर रोक लगाने, कैशलेस मेडिकल सुविधा देने,खाली पड़े लाखों पदों को स्थाई भर्ती से भरने के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें पहली जनवरी, 2016 से प्रदेश के कर्मचारियों पर लागू की जानी हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर नहीं किया है। इतना ही नहीं, कुल कर्मचारियों का 50 प्रतिशत हिस्सा जो विश्वविद्यालयों, निगमों, बोर्डों व नगर निगमों आदि में काम करता है, उनकी विसंगतियों की सुनवाई तक नहीं की जा रही है। dt
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