हिसार : हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने प्रदेश सरकार की सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों को गोद देने की योजना की कड़ी आलोचना की। हसला प्रधान भगवानदत्त ने सरकार के उस दावे की कि निजी स्कूल केवल सरकारी स्कूलों का पैसे संसाधनों से सहयोग करेंगे, बल्कि नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने में मदद करेंगे, की कड़ी भर्त्सना एवं निंदा की। हसला प्रधान ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार समाज को गुणवत्तापरक शिक्षा देने की अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। इन नीतियों के कारण सरकारी स्कूल भी गरीब बच्चों की पहुंच से बाहर हो जाएंगे। यह भारतीय संविधान की मूल भावना के बिल्कुल विपरीत है। निजी स्कूलों का प्रथम उद्देश्य लाभ कमाना (प्रोफिट बेस्ड) होता है, वे भला कैसे सरकारी स्कूलों को सुचारू सहयोग देंगे। निजी स्कूलों का हित तो सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करके अपनी छात्र संख्या बढ़ाना होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड जैसे निजीकरण के हिमायती देशों में भी शिक्षा को सरकारी क्षेत्र में रखा है। इन देशों में प्राइवेट स्कूल नाममात्र की है। हसला ने चेतावनी दी कि शिक्षा का निजीकरण बंद करें और सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए वरना सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। db
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