.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday, 6 January 2016

प्राइवेट शिक्षक गैर शिक्षक को भी मिले सरकारी जैसी सुविधाएँ

करनाल : जिला एवं सत्र एजुकेशनल ट्रिब्यूनल न्यायाधीश ललित बतरा ने एक केस में फैसला सुनाया है कि प्राइवेट स्कूलों के अध्यापक-अध्यापिका या अन्य कर्मचारी वही वेतन लेने के हकदार हैं, जो उनके समकक्ष सरकारी स्कूलों में कार्यरत कर्मचारी ले रहे हैं। रेलवे रोड स्थित एसडी मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से रिटायर्ड टीचर विजय पुंज, सुनीता भाटिया, संतोष भल्ला और संतोष कुकरेजा ने ट्रिब्यूनल कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने 24 दिसंबर 2015 को उपरोक्त फैसला सुनाया। 
चारों रिटायर्ड शिक्षक ने डिस्ट्रिक्ट जज कम एजुकेशनल ट्रिब्यूनल करनाल में वर्ष 2011 में अपील डाली कि रिटायरमेंट के बाद स्कूल ने उन्हें तो ग्रेज्युटी दी और सिक्स पे कमीशन की रिकमेंडेशन के अनुसार पे रिवाइज की। इस केस की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने 23 फरवरी 2012 को ग्रेज्युटी देने के आदेश दे दिए, जबकि सिक्स पे कमीशन के बारे में कहा कि प्रार्थीगण पहले मैनेजमेंट से संपर्क करे। यदि मैनेजमेंट नहीं देता तो फिर अपील करें। 
स्कूल ने देने से किया इनकार: 
शिक्षकों के एडवोकेट राजेंद्र भल्ला ने बताया कि 6 नवंबर 2012 को स्कूल मैनेजमेंट ने ग्रेज्युटी और सिक्स पे कमीशन देने से स्पष्ट मना कर दिया और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में केस डाल दिया। इसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 27 नवंबर 2013 के फैसले में में स्पष्ट किया कि ग्रेज्युटी के बारे में अध्यापक लेबर कोर्ट में जाएं और बाकी के विवादों के निस्तारण के लिए एजुकेशनल ट्रिब्यूनल के पास जाएं।
फिर डाली ट्रिब्यूनल में याचिका 
इसके बाद सभी टीचरों ने 24 फरवरी 2015 को एजुकेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट में फिर से याचिका दायर की। इसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ललित बतरा ने फैसला सुनाया कि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995, हरियाणा एजुकेशन रुल्स 2003 तथा सीबीएसई नई दिल्ली के रूल्स के अनुसार प्रत्येक अध्यापक-अध्यापिका या अन्य कर्मचारी वही वेतन लेने का हकदार है, जो इनके समकक्ष सरकारी स्कूलों में कार्यरत कर्मचारी ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त मैनेजमेंट को यह हिदायत भी दी गई कि इन सभी का वेतन 1 जनवरी 2006 से रिवाइज किया जाए तथा उससे जो एरियर बनता है, उसका तीन माह में भुगतान किया जाए अन्यथा स्कूल को 9 प्रतिशत ब्याज दर से इसका भुगतान करना होगा।
ये है एजुकेशनल ट्रिब्यूनल 
जिले में एजुकेशनल ट्रिब्यूनल का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हुआ था। वर्ष 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने टीएमए पाई फाउंडेशन के केस की सुनवाई के दौरान आदेश पारित किए थे कि पूरे देश के सभी जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीश एजुकेशनल ट्रिब्यूनल के रूप में भी काम करेंगे। तभी से जिलों में एजुकेशनल ट्रिब्यूनल का गठन हो गया था। 
कुछ स्कूलों में पहले से ही लागू: अध्यक्ष 
"ऐसा फैसला आया है, सुना है। कुछ स्कूलों में तो पहले से ही यह लागू है। कंडीशनल है, स्कूलों की अपनी आर्थिक स्थिति है, उसी अनुसार सभी दे रहे हैं, क्योंकि यह सेल्फ फाइनेंस सिस्टम हैं। इस फैसले का जो असर पड़ना था, वह पहले ही पड़ चुका है।"-- राजनलांबा, अध्यक्ष, सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स एसोसिएशन

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.