** शिक्षा निदेशालय ने प्रत्येक स्कूल से मांगे तीन शिक्षकों के नाम
नई दिल्ली: ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद स्कूल खुलते ही दिल्ली के राजकीय स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों पर तबादले की तलवार लटक गई है। शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी कर तबादले के लिए प्रत्येक स्कूल से तीन शिक्षकों के नाम प्रधानाचार्य से मांगे हैं। जिस कारण तीन हजार से अधिक शिक्षकों का तबादला होने की संभावना प्रबल हो गई है। वहीं इस फैसले के खिलाफ शिक्षक आंदोलन करने तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षा निदेशालय ने राजकीय स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के तबादले के लिए नई नीति जारी की है। इस नीति के तहत प्रधानाचार्य के पास तीन शिक्षकों का तबादला करने का अधिकार होगा। शिक्षा निदेशालय के अधिकारी ने बताया कि निदेशालय एक ही स्कूल में पांच साल से अधिक समय से पढ़ा रहे शिक्षकों का तबादला करने संबंधी प्रस्ताव को लागू करना चाह रहा था, लेकिन इस प्रस्ताव के लागू होने से एक साथ तकरीबन 20 हजार शिक्षकों का तबादला हो जाता। इससे बचने के लिए जो तबादला नीति लागू की है। उसमें स्कूल प्रधानाचार्य का तबादले का अधिकार दिया गया है। इस नीति के तहत प्रधानाचार्य अपने स्कूल से तीन शिक्षकों का नाम तबादले के लिये निदेशालय को भेज सकते हैं। जिसके आधार पर शिक्षकों का तबादला किया जाएगा। शिक्षकों की नई तबादला नीति को लेकर राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव का कहना है कि इस आदेश से दिल्ली के 1024 स्कूलों के तीन हजार से अधिक प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा। इससे स्कूलों में अफरा-तफरी का माहौल पैदा होगा। जबकि लागू तबादला नीति सीधे तौर पर शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। इस नीति में शिक्षकों को तबादले के दौरान अपना पक्ष रखने का अधिकार नहीं दिया गया है। सारा अधिकार स्कूल प्रधानाचार्य के पास है। इससे स्कूलों में प्रधानाचार्य की निरकुंशता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस तबादला नीति को वापस नहीं लिया तो शिक्षक आंदोलन करेंगे।
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