नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि छात्रों की
उत्तर पुस्तिका में मिले अंक के मूल्यांकन में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा
बोर्ड (सीबीएसई) भी गलती कर सकता है। ऐसे में उसे पुनर्मुल्यांकन की नीति को
खत्म नहीं करना चाहिए था।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा के समक्ष सीबीएसई की
तरफ से कहा गया कि देशभर में करीब 10 लाख बच्चे परीक्षा देते हैं। उसके
आकलन के मुताबिक मूल्यांकन में गलती की संभावना महज 0.21 फीसद पाई गई है।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि इस नीति के कारण 2100 छात्रों का भविष्य दांव पर
लग गया है। हमें पता है कि आधा अंक भी इधर से उधर होने पर छात्रों का
भविष्य दांव पर लग जाता है। हाई कोर्ट ने याचिका पर कोई निर्णय नहीं लिया।
हालांकि, सीबीएसई को कहा कि याचिकाकर्ता छात्र उत्तर पुस्तिका की कॉपी
प्राप्त करना चाहती है तो उसे दी जाए। इसपर सीबीएसई ने कहा कि छात्र के
आवेदन के संबंध में पुनर्मुल्यांकन गया था, जिसमें कुछ भी परिवर्तन
नहीं पाया गया। यह जानकारी उसकी वेबसाइट पर भी अपडेट की जाएगी। हाई कोर्ट
में 12वीं कक्षा की परीक्षा देने वाली एक छात्र ने गणित और अंग्रेजी विषय
की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मुल्यांकन कराने के लिए याचिका लगाई है। अगली
सुनवाई 19 जून को होगी।
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