अम्बाला : 1992 में एमए की फर्जी डिग्री पर
पदोन्नति हासिल करने वाले हमीर सिंह पर विजिलेंस ने लंबी जांच के बाद केस
दर्ज किया है। जांच में 5 विभागीय अफसर भी दोषी पाए गए। हालांकि इनमें से
दो अधिकारियों की मौत हो चुकी है, जबकि 3 अफसरों काे नामजद कर जांच शुरू कर
दी है।
शहजादपुर के गांव बड़ी बस्सी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक
विद्यालय में कार्यरत गणित अध्यापक हमीर सिंह पर उपनिदेशक सेकेंडरी शिक्षा
विभाग पंचकूला में कार्यरत परमजीत शर्मा ने 2015 में फर्जी डिग्री के तहत
पदोन्नति हासिल करने का आरोप लगाते हुए बताया था कि 1992 में हमीर सिंह ने
शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर एमए की डिग्री प्राइवेट तौर पर मगध
यूनिवर्सिटी बोध गया बिहार से आवेदन देना पाया गया। हमीर ने एएन कॉलेज पटना
से परीक्षा देकर 800 में से 444 नंबर होना पाया गया। यही डिग्री हमीर ने
1997 में पदोन्नति के लिए विभाग को दी, जो विजिलेंस जांच में राकेश कुमार
पांडेय की पाई गई। विभागीय अधिकारियों को 86 डिग्रियों के आधार पर पदोन्नत
हुए प्राध्यापकों की जांच करनी थी, जो नहीं की गई।
इन अफसरों पर आरोप
अम्बाला विजिलेंस
एसपी केपी सिंह ने बताया कि जांच में पाया कि हमीर सिंह की डिग्री को
निदेशक कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी धर्मपाल ठाकुर रिटायर्ड असिस्टेंट,
रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट शिवनारायण जैन, रिटायर्ड असिस्टेंट डॉयरेक्टर आरसी
तिलकराज मल्होत्रा, डिप्टी डॉयरेक्टर कोऑर्डिनेटर योगेंद्र कुमार तत्कालीन
ओएसडी अश्वनी कुमार कार्यालय निदेशक सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन हरियाणा
शिक्षा सदन पंचकूला ने तस्दीक करना था। मगर इन्होंने मिलीभगत करके बिना
डिग्री तस्दीक किए हमीर सिंह को अध्यापक से प्राध्यापक के पद पर पदोन्नत कर
दिया। हालांकि इनमें से शिवनारायण और योगेंद्र की जांच के दौरान मौत हो
गई।
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