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Wednesday, 21 June 2017

अब बच्चे भरेंगे निरक्षरों के जीवन में साक्षरता के रंग

** निरक्षरों को साक्षर करने के लिए लिया जा रहा है फैसला
** शिक्षक साक्षर करने के लिए विद्यार्थियों को करेंगे जागरूक
फतेहाबाद : बजट के अभाव में दम तोड़ती साक्षरता योजना में फिर से जान फूंकने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बार आर्थिक तंगी के कारण हटाए गए प्रेरकों के बदले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही साक्षरता का महारथी बनाने की योजना है। ये विद्यार्थी अपने घर-परिवार के निरक्षर व्यस्कों को साक्षरता का पाठ पढ़ाएंगे। इसके लिए संबंधित स्कूल के शिक्षक विद्यार्थियों में समाजसेवा की भावना भरेंगे। इसके अलावा प्रशासन की ओर से भी उन्हें सम्मानित किया जाएगा। 
योजना के मुताबिक 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी निरक्षरों को मिशन की मुख्य धारा में लाने के लिए संबंधित ग्राम के स्कूल मुखिया अपने स्कूल के एक समर्पित अध्यापक को नोडल अधिकारी के रूप में चुनेंगे। नोडल अधिकारी नौंवीं व ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मोटीवेट करेंगे। इसके बाद छात्रों के अलग-अलग ग्रुप बनाए जाएंगे। ग्रुप में शामिल विद्यार्थी जिले में निरक्षर करीब 35 हजार लोगों को साक्षर बनाने का काम करेंगे। 
यहां 436 प्रेरकों को हटाया गया : 
जिले की 246 पंचायतों में 436 प्रेरक काम कर रहे थे। इन्हें पिछले दिनों बजट का हवाला देकर हटा दिया गया। सरकार की तरफ से इन्हें दो हजार रुपये प्रति माह दिया जाता था। ये प्रेरक निरक्षरों को बेसिक ज्ञान देते थे। इन्हें साक्षर भारत मिशन के तहत तीसरी कक्षा की परीक्षा दिलवाई जाती है। अब तक जिले में 64 हजार 397 निरक्षर साक्षर हो चुके हैं।
प्रति प्रेरक 16 हजार रुपये वेतन बकाया : 
साक्षर भारत मिशन के तहत कार्यरत प्रेरकों को दो हजार रुपये वेतन दिया जाता था। इन्हें पिछले दिनों हटा दिया गया।
निरक्षरों की स्थिति 
साक्षर भारत मिशन की शुरूआत के समय जिले में सर्वे के अनुसार 99 हजार 821 लोग निरक्षर थे। अभियान की शुरूआत के बाद जिले में 64 हजार 397 लोग साक्षर हो चुके हैं। पुराने सर्वे के अनुसार जिले में 35 हजार लोग अभी निरक्षर हैं। 
"साक्षर भारत मिशन का अभियान जारी रहेगा। गांव के ऐसे शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा, जो समाजसेवा से जुड़ा हो। ये शिक्षक विद्यार्थियों को जागरूक करेंगे और विद्यार्थी निरक्षरों को साक्षर करेंगे। विद्यार्थियों को इसलिए जोड़ा जा रहा है क्यों कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के मां-बाप व अन्य रिश्तेदारियों में आने वाले लोग निरक्षर हैं। जल्द ही मुख्यालय स्तर पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।"-- सुरेंद्र वर्मा,जिला संयोजक, साक्षर भारत।

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