अम्बाला सिटी : 7 व 8 अगस्त को सरकारी स्कूलों में एक बार फिर से अध्यापकों की उपस्थिति नाममात्र की होगी। पहले की भांति फिर से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी। क्योंकि 19 जुलाई की जेबीटी की विवादास्पद काउंसिलिंग रद्द हो गई है। चहेतों को मनपंसद स्टेशन अलाट करने की गूंज शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के कानों तक भी पहुंच गई। ऐसे में शिक्षा निदेशालय ने स्वयं ही प्रदेश में काउंसिलिंग करने का फैसला किया है। अब इसमें स्थानीय अधिकारियों को कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। बस वे केवल सरप्लस टीचरों और खाली स्टेशनों की सूची ही मुहैया कराएंगे। पहले भी शिक्षा निदेशालय ने किसी भी डीईओ कार्यालय को काउंसिलिंग करने का कोई फरमान नहीं दिया था। काउंसिलिंग से स्टेशन अलॉट करने का फैसला स्थानीय शिक्षा अधिकारियों का ही था, जो कि राज्य शिक्षा निदेशालय को पंसद नहीं आया। रेशनेलाइजेशन के तहत 7अगस्त को जेबीटी व आठ अगस्त को मास्टर वर्ग के सरप्लस पदों के समायोजन के लिए शिक्षा निदेशालय अम्बाला में अबकी बार स्वयं काउंसिलिंग करेगा। इस काउंसिलिंग में विभाग की अस्सिटेंट डायरेक्टर रुपा रानी भाग लेगी। इसकी पुष्टि शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी पत्र से हुई है। रेशनेलाइजेशन की प्रकिया के चलते जिले में 100 से ज्यादा जेबीटी के पद सरप्लस हुए है। इसी प्रकार से मास्टर कैडर के सरप्लस पदों के समायोजन के लिए जिला शिक्षा विभाग ने 19 जुलाई को काउंसिलिंग की थी।
एक ही दिन जिले के सभी खंडों से जेबटी और मास्टर कैडर के शिक्षकों को बुला लिया गया। डीईओ की अध्यक्षता में हुई काउंसिलिंग में अव्यवस्था का माहौल बन गया था। डीईओ और यूनियन नेताओं के बीच तू तू मैं मैं भी हुई। तत्पश्चात शाम तक पुलिस के पहरे में प्रकिया चली। जेबीटी ने काउंसिलिंग में शिक्षा अधिकारियों पर नियमों की अनदेखी कर चहेतों को मनपसंद स्टेशन अलाट करने के आरोप लगाए थे। हल्ला होने पर मास्टर वर्ग की काउंसिलिंग रद्द कर दी थी। मास्टर वर्ग के लगभग 500 अध्यापकों ने केवल हस्ताक्षर करके डीईईओ कार्यालय पर प्रदर्शन किया था। ..DB
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