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Monday, 5 August 2013

बुक्स सप्लाई करने में कंपनी फेल, नए टेंडर


राज्य सरकार के हाथ-पांव फूले, कक्षा ३ से ८ के बच्चों को नहीं मिली किताबें, अगले माह से परीक्षाए
सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत प्रदेश में पहली से 8वीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों को किताबें देने के मामले में आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी। टेंडर लेने वाली प्रकाशक कंपनी समय पर किताबों की सप्लाई नहीं कर पाई और अब उसने हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे शिक्षा विभाग के अफसरों के हाथ-पांव फूलेहुए हैं। विभाग ने प्रकाशक का टेंंडर रद्द कर नए सिरे से शार्ट टर्म टेंडर आमंत्रित कर लिए हैं। 
अभी तक झूठ बोलते रहे अधिकारी: 
किताबों को लेकर अभी तक स्कूल शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग की ओर से जो भी दावे किए गए, वह झूठे साबित हुए। छह माह से यही दावे किए जाते रहे कि किताबें जल्दी ही मिल जाएगी। अंतिम समय तक विभाग कहता रहा कि किताबों को वितरण करवाया जा रहा है, या शुरू हो चुका है जबकि हकीकत कुछ और थी।  
अब परीक्षा कैसे देंगे बच्चे 
अब बच्चों के सामने समस्या यह है कि अगले माह परीक्षाएं हैं जबकि उन्हें अभी तक किताबें ही नहीं मिली। वे बिना किताब पढ़ाई कैसे करें? अब शार्ट टर्म टेंडर किए जा रहे हैं। कब किताबें छपेंगी और कब मिलेंगी, पता नहीं। ऐसे में परीक्षाएं आगे खिसकानी पड़ सकती हैं। 
टेंडर के समय से ही थी देरी की आशंका
बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिलने की आशंका उसी समय बन गई थी, जब कंपनी को छपाई ठेका दिया गया था। इसी कंपनी को ऐसा ही ठेका झारखंड में भी मिला था, लेकिन वहां वह समय पर किताबों की सप्लाई नहीं दे पाई थी। हरियाणा में कंपनी से समय पर किताबें छपवाकर सप्लाई कराने के लिए कुछ हद तक शिक्षा विभाग के अफसर भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस काम को गंभीरता से नहीं लिया। 
सीधी बात : 
हमसे गलती हो गई : गीता भुक्कल, शिक्षामंत्री 
क्या किताबें सप्लाई करने वाली कंपनी का ठेका रद्द कर दिया है? 
हां, कंपनी पहले तो भरोसा दिलाती रही, लेकिन अब किताबें नहीं दे पाई। 
अब बच्चों के भविष्य का क्या होगा? 
हमने शार्ट टर्म टेंडर किए हैं। जल्दी ही किताबें छपवाकर बंटवाएंगे। 
तब तक क्या बच्चे बिना किताबों के रहेंगे? वो पढ़ेंगे क्या? 
कुछ किताबें हमने पहले एक्सट्रा छपवाई थीं, उन्हें बांट रहे हैं। कुछ बच्चों को पुराने छात्रों की किताबें दिलवा रहे हैं। ये किताबें बुक बैंक में रहती हैं। 
क्या इससे सभी कक्षाओं के छात्रों की समस्या हल हो जाएगी? 
नहीं, कक्षा 1, 2 और 9, 10 की किताबें बंट गई हैं। कक्षा 3 से 8 वीं तक की परेशानी है। 
जल्दी किताबें कब तक बंटेंगी और कैसे?
हमने शॉर्ट टर्म टेंडर किया है। अब एक कंपनी को एक ही क्लास की किताबों का काम दिया जाएगा। अगले शिक्षा सत्र के लिए भी हम अभी टेंडर कर रहे हैं। उम्मीद है जल्दी ही सबकुछ ठीक ो जाएगा। 
जब पहले से मालूम था कि ये कंपनी देरी के लिए मशहूर है, फिर उसे टेंडर दिया ही क्यों? 
हमसे यही तो गलती हो गई। कंपनी ने टेंडर में सबसे कम रेट दे दिए इसलिए एल-वन होने के कारण हमें उसे टेंडर देना पड़ा। 
टेंडर देने के पहले कंपनी की इतनी किताबें छापने की कैपेसिटी चैक क्यों नहीं की? 
वित्तमंत्री की अध्यक्षता में बनी हाईपावर कमेटी के माध्यम से यह कंपनी टेंडर में आई थी। इस कमेटी में कई आला अफसर भी थे। कंपनी की कैपेसिटी आदि सब इन्हीं अफसरों ने चैक की होगी। 
अब कंपनी पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं? 
हम कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही उसकी बैंक गारंटी जब्त कर रहे हैं। इसके अलावा और कार्रवाई भी होगी, लेकिन पहली प्राथमिकता बच्चों को किताब उपलब्ध कराने की है।
रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया शुरू, बैठक आज
शिक्षामंत्री ने कहा कि बच्चों के हित में छात्रों और शिक्षकों के अनुपात को सुधारने के लिए रेशनेलाइजेशन शुरू किया गया है। शिक्षक संगठनों को इसमें सहयोग करना चाहिए। कई जगह स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है और उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है जबकि कुछ जगह बच्चे कम व टीचर ज्यादा है। रेशनेलाइजेशन नीति शीघ्र ही विभाग की साइट पर अपलोड की जाएगी ताकि इसके फायदों के बारे में आमजन जान सके। इसी मुद्दे पर सोमवार को चंडीगढ़ में उनकी शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों से बैठक भी है।..DB 

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