हिसार : सरकारी स्कूलों में रेशनेलाइजेशन लागू करने को लेकर शिक्षा विभाग ने युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं लेकिन इसे लागू करने से पहले ही गुरुजी की नींद उड़ गई है। ऐसा ही कुछ नजारा रविवार को जहाजपुल स्थित सरकारी स्कूल में देखने को मिला। जब शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. बीआर वत्स रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया की जांच करने हिसार पहुंचे। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी भी मौके पर मौजूद थी। स्कूल में मौजूद सभी हेड मास्टरों व प्राचार्यो को एक-एक परफोर्मा साइन करने के लिए दे दिया गया, जोकि रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया का एक हिस्सा था। इस दौरान यह बात सामने आई कि सबसे पहले स्कूलों में पोस्ट लेक्चर्स को दी जाएंगी। जब इस बात का अध्यापकों को पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अध्यापकों को इस व्यवस्था से खुद के सरपल्स होने के साथ भविष्य पर तलवार लटकती नजर आई। बैठक में मौजूद एक हेड मास्टर ने बताया कि इस नई व्यवस्था से सैकड़ों की संख्या में अध्यापक सरपल्स हो जाएंगे, जोकि गलत है। इसके अलावा स्कूलों में विषय संबंधी अनुभवी शिक्षकों की संख्या भी न के बराबर रह जाएगी। स्कूलों में खासकर एसएस, विज्ञान, मैथ, हिंदी व ड्राइंग के टीचर ही नहीं रहेंगे, तो शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा। ऐसे तो छठी से आठवीं तक लेक्चर्स पढ़ाएंगे।वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी का कहना है कि अध्यापकों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह तो सिर्फ प्रक्रिया है, रेशनेलाइजेशन लागू नहीं किया गया है। फिलहाल स्कूलों में पूर्व की भांति ही कार्य चलेगा। अभी तो मास्टर, लेक्चर्स सहित तमाम रिक्त पदों पर भर्ती होनी बाकी है। किसी की नौकरी पर गाज नहीं गिरेगी। ..DJ
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