भिवानी : प्रदेश की करोड़ों पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित करने वाले विवादित फर्म को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने बगैर पुस्तकों के भी लगभग 20 लाख रुपये का भुगतान किया था। प्रदेश सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए दो फर्मो को टेंडर दिया हुआ था। मुंबई की विवादित फर्म को करीब साढ़े 38 करोड़ रुपये व दूसरी फर्म को लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये का टेंडर दिया हुआ था। बता दें कि शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने नवंबर 2012 में इस फर्म को टेंडर दिया था, तभी प्रशासन के पास शिकायत पहुंच गई थी। शिक्षा बोर्ड अधिकारियों ने इस मामले की जांच भी की थी। जांच के नाम पर तीन आइएएस अधिकारी मुंबई भी गए और लीपापोती कर फर्म को क्लीन चिट दे दी गई। इसके बाद विवादित फर्म को टेंडर दे दिया गया। नतीजा यह रहा कि पूरे प्रदेश में उक्त फर्म ने पाठ्य पुस्तकें सप्लाई नहीं की। हालांकि फर्म की तरफ से रोहतक, झज्जर व गुड़गांव के कुछ स्कूलों में पुस्तकें सप्लाई करने के दावे किए गए। रोहतक से एक स्कूल के मुखिया ने पुरानी पुस्तकें सप्लाई करने की शिकायत शिक्षा बोर्ड प्रशासन को कर सनसनी फैला दी। फजीहत से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने गत दिवस उक्त फर्म को ब्लैक लिस्ट घोषित कर चार करोड़ रुपये सुरक्षा राशि जब्त करने का फैसला तो कर लिया है, लेकिन इसी जुलाई के प्रथम पखवाड़े में किए गए लगभग 20 लाख रुपये के भुगतान का क्या हिसाब होगा, किसी ने सोचा भी नहीं है।..dj
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