नूंह : शिक्षा विभाग भले ही प्रवेश उत्सव मनाकर व शिक्षा सेतु कार्ड
बाटकर शिक्षा का उजियारा करने के लिए बड़े-बडे़ दावे कर रहा हो, लेकिन
स्कूलों में शिक्षा की हकीकत कुछ और ही है। स्थिति यह है कि विभाग एक तरफ
तो तरह-तरह की दावे कर रहा है, लेकिन अभी तक स्कूलों में छात्रों के पढ़ने
के लिए किताब भी नहीं भेजी गई हैं। इस बात की चिंता चंडीगढ़ में बैठे
अधिकारियों को तनिक भी नहीं है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सर्व शिक्षा अभियान सभी सरकारी स्कूलों
के छात्रों को पहली से आठवीं तक पढ़ने के लिए मुफ्त में किताबें मुहैया
कराता है। सत्र चालू हुए पाच महीने हो गए है, लेकिन अभी तक सरकारी स्कूलों
में छात्रों को किताबें मुहैया नहीं कराई गई है। स्थिति यह है कि अभी तो ये
किताबें जिलास्तर पर भी नहीं आई। विभाग के हालात यहीं रहे तो इस महीने में
भी किताबें आने की उम्मीद नहीं है। इसको लेकर अभिभावकों में रोष है।
अभिभावकों का कहना है कि विभाग की यह लेटलतीफी हर वर्ष की है। इससे सरकारी
स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब छात्रों को सीधा नुकसान हो रहा है। इस बारे
में अभिभावक सहित कई लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग दिखावा ज्यादा
करता है, लेकिन हकीकत कुछ और है। अभी तक छात्रों को किताबें नसीब नहीं हुई
है। इसका सीधा असर उन गरीब छात्रों पर पड़ रहा है, जिनके अभिभावक उन्हे
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने में असमर्थ है। लिहाजा यह मार सीधी गरीब
बच्चों पर है। अभिभावकों का कहना है छात्रों पर पढ़ने के लिए किताब नहीं है
और विभाग कभी प्रवेश उत्सव मना रहा है तो कभी लोगों को शिक्षा सेतु कार्ड
बाटकर वाही-वाही लूट रहा है। अधिकारी सच्चाई को जाने और छात्रों को किताबें
मुहैया करा, अध्यापकों को स्कूलों में नियमित कर उनसे पढ़ाई कराए, तभी
छात्रों को आरटीई का फायदा पहुच सकता है। इस बारे में डिप्टी डीइओ वजीरचंद
मजोका का कहना है कि अभी किताबों के लिए किसी प्रकार की सूचना उनके पास
नहीं है। उनकी तरफ से डिमाड भेजी हुई है। ...dj
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