चंडीगढ़. हरियाणा सरकार में कार्यरत सभी महिलाओं को अब तीसरे
बच्चे के जन्म पर मेटर्निटी लीव नहीं मिलेगी। इस संबंध में एकल जज के फैसले
को खारिज करते हुए जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस सुरेंद्र गुप्ता की खंडपीठ
ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि फिलहाल तीसरे बच्चे के लिए महिलाओं को
मटर्निटी लीव का लाभ न दिया जाए।
खंडपीठ ने इस मामले को बड़ी बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए भेजे जाने पर
हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न मामले की सुनवाई लार्जर
बेंच करे।
लेक्चरर पूजा संधू ने की थी मांग
हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग में इंग्लिश की लेक्चरर पूजा संधू की तरफ
से याचिका दायर कर कहा गया कि उन्हें तीसरे बच्चे के जन्म के लिए विभाग ने
मेटर्निटी लीव नहीं दी। ऐसे में उनकी अन्र्ड लीव (ई-लीव) काट ली गई।
याचिका में मांग की गई कि उन्हें मटर्निटी लीव का लाभ दिया जाए। जस्टिस एजी
मसीह ने याचिका को स्वीकार करते हुए हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि
याची को मेटर्निटी लीव का लाभ दिया जाए।
सरकार ने डाली अपील
जस्टिस मसीह के फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार ने दो जजों की खंडपीठ के
समक्ष अपील दायर कर कहा कि यदि याची को यह लाभ दिया गया तो उन्हें प्रदेश
की सभी महिला कर्मचारियों को तीसरा बच्च पैदा करने पर मेटर्निटी लीव का लाभ
देना होगा। ऐसे में एकल जज के फैसले को खारिज किया जाए। सरकार पहले से ही
दो बच्चों के लिए महिला कर्मचारियों को मैटर्निटी लीव का लाभ दे रही है।
ऐसे में तीसरे बच्चे लिए यह लाभ नहीं दिया जा सकता। ...db
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