पानीपत : 12वीं कक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) और प्रदेश सरकार के बीच खींचतान जारी है। इसी क्रम में प्रदेश के साढ़े १२ हजार लेक्चरर मंगलवार और बुधवार को सामूहिक अवकाश लेकर राज्यभर में बनाए गए मूल्यांकन केंद्रों पर प्रदर्शन करेंगे।
प्रदेश में 7 नवंबर से 12वीं कक्षा के पहले सेमेस्टर की करीब 17 लाख उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना था लेकिन हसला ने ग्रेड-पे, पदनाम व पदोन्नति से संबंधित अपनी मांगों को लेकर दो हफ्ते से मूल्यांकन का बहिष्कार कर रखा है। इससे प्रदेश के साढ़े ३ लाख छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है।
हसला के राज्य प्रधान दयानंद दलाल ने कहा कि दो दिन के इस विरोध-प्रदर्शन के बाद भी अगर सरकार ने उनकी मांगों पर फैसला नहीं लिया तो 28 व 29 नवंबर को सभी जिलों में लेक्चरर दोपहर बाद 3 से ५ बजे तक जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) दफ्तर में धरना देंगे। साथ ही 30 नवंबर को मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन का पुतला फूंका जाएगा। उसके बाद अगर जरूरत पड़ी तो 11 दिसंबर को पंचकूला स्थित शिक्षा विभाग के मुख्यालय, शिक्षा सदन पर राज्यस्तरीय धरना और फिर रोहतक में रैली की जाएगी। इस रैली के लिए दूसरे विभागों के कर्मचारियों से संपर्क किया जाएगा। हरियाणा स्कूल अध्यापक संघ के प्रदेश उपप्रधान महावीर सिंह ने कहा कि मौजूदा हालात के लिए सरकार की हठधर्मिता जिम्मेदार है।
गेस्ट टीचरों ने भी हाथ किए खड़े
झज्जर. 12वीं कक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन गेस्ट टीचरों से कराने की सरकार की कोशिशों को सोमवार को तगड़ा झटका लगा। हसला के अनुरोध पर गेस्ट टीचरों ने भी मूल्यांकन कार्य से हाथ खड़े कर दिए।
10वीं की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू
पानीपत/रोहतक. सोमवार को प्रदेशभर में दसवीं के पहले सेमेस्टर की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम शुरू हो गया। शिक्षा बोर्ड ने हर जिले में एक-एक सेंटर बनाया है जहां जिलेभर के स्कूलों की कॉपियों की जांच होगी। यह मूल्यांकन अगले १० दिन तक चलेगा। रोहतक जिले में बनाए गए सेंटर पर 180 परीक्षकों और 27 मुख्य परीक्षकों की ड्यूटी लगाई थी जिनमें से निजी स्कूलों के 35 परीक्षक नहीं आए। इनकी रिपोर्ट अब बोर्ड को भेजी जाएगी। इस सेंटर पर पहले दिन 2 हजार कॉपियों की जांच हुई। पानीपत में सेंटर पर भी २० शिक्षक नहीं पहुंचे।
शिक्षाविद् राजाराम बोले-अगर क्वालिटी स्कूल होते तो शिक्षा की यह दशा नहीं होती
भिवानी. हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के दो बार चेयरमैन रह चुके शिक्षाविद डॉ. राजाराम ने कहा है कि शिक्षा का गिरता स्तर चिंता का विषय है। अगर सरकार ने 1979 में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए बनाई गई पॉलिसी पर काम किया होता तो आज हालात ऐसे नहीं होते।
राजाराम ने बताया कि वर्ष 1979 में केंद्र की तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए गांवों में क्वालिटी स्कूल बनवाने की योजना बनाई थी। राज्यपाल को इस स्कूल का चेयरमैन और बोर्ड चेयरमैन को सचिव बनाया जाना था। db
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