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Saturday, 23 November 2013

कमजोर विद्यार्थी अब होंगे फेल !

** शिक्षकों की संख्या बढ़ाने व उनकी ट्रेनिंग की सिफारिश
** शिक्षा के अधिकार अधिनियम में नया रूप देने की तैयारी
** बोर्ड की उपसमिति की रिपोर्ट तैयार, अगले माह सौंपी जाएगी एचआरडी को अब 
चंडीगढ़ : केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति का मानना है कि आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने (नो डिटेंशन पालिसी) की वजह से देश में शिक्षा का स्तर गिर रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किए जाने का प्रावधान है। उप समिति की सिफारिशें यदि मानी गईं तो आरटीई अधिनियम में दर्ज नो डिटेंशन पालिसी में बदलाव हो सकता है।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम की आठवीं क्लास तक किसी को फेल नहीं करने की पॉलिसी की समीक्षा के लिए केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति का गठन किया था। समिति की अभी तक पांच बैठकें हो चुकी हैं और रिपोर्ट लगभग तैयार है। अब आखिरी बैठक कर दिसंबर माह के शुरू में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय को इसे सौंप दिया जाएगा। उप समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर राज्य बच्चों को फेल-पास किए जाने वाले पुराने सिस्टम को लागू करने के पक्ष में हैं। लिहाजा रिपोर्ट में इसी बात की वकालत की जा रही है कि बिना बच्चों की स्क्रीनिंग के यह तय किया जाना गलत है कि वे पास होने के योग्य हैं। रिपोर्ट में बच्चों की इस मानसिकता का पूरी तरह से ध्यान रखा गया है। साथ ही सुझाव भी दिया जा रहा है कि आगे बढ़ने के लिए प्रतिस्पर्धा बेहद जरूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर राज्य सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि यह प्रणाली पूरी तरह से दुरुस्त है। इसी हिसाब से शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। 
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की उप समिति की चेयरपर्सन गीता भुक्कल के अनुसार रिपोर्ट में हम यह भी पेशकश करेंगे कि जो कमियां कक्षा एक से आठ तक शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने में रह गई हैं, उन्हें कक्षा 10 से 12 तक शिक्षा के अधिकार को लाने में ध्यान रखा जाए। अंतिम बैठक के बाद यह रिपोर्ट मंत्रलय को सौंप दी जाएगी। 
ये है सतत एवं समग्र मूल्यांकन प्रणाली 
शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 16 के तहत बच्चों की पढ़ाई व उनके आचार-व्यवहार के आधार पर शिक्षक मूल्यांकन करते हैं। इस मूल्यांकन प्रणाली के तहत हरियाणा में अध्यापकों को प्रशिक्षण भी दिया गया लेकिन वे इसे नाकाफी बताते हैं। अध्यापकों को अधिक जानकारी न होने के कारण बच्चों का मूल्यांकन अंदाजे से कर दिया जाता है।              dj


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