नई दिल्ली : स्कूलों में मिड डे मील के लिए खाद्यान्न के भुगतान को लेकर खड़ा संभावित संकट टल सकता है। पहली दिसंबर से एडवांस भुगतान पर ही खाद्यान्न उपलब्ध कराने की चेतावनी के बाद भी खाद्य मंत्रलय बच्चों के मिड डे मील की परेशानी बढ़ाने के मूड में नहीं है। हालांकि, मिड डे मील को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय को भुगतान में देरी को दुरुस्त तो करना ही पड़ेगा।
सूत्रों के मुताबिक स्कूलों को मिड डे मील के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की तरफ से दिए गए खाद्यान्न का करीब 460 करोड़ रुपये बकाया है। फिर भी वह मिड डे मील के खाद्यान्न को लेकर एचआरडी मंत्रलय की परेशानी बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। अलबत्ता, खाद्य मंत्रलय ने एचआरडी मंत्रलय को एडवांस भुगतान के लिए पत्र जरूर लिखा था। इस पर स्कूली शिक्षा सचिव ने परिस्थितियों का हवाला देते हुए फैसले पर पुनर्विचार की वजहें गिनाई हैं, जिन पर खाद्य मंत्रलय विचार कर रहा है।
मंत्रलय के एक उच्चपदस्थ अधिकारीने कहा कि मिड डे मील के लिए एचआरडी मंत्रलय ने एफसीआइ के पास 300 करोड़ का कार्पस (फंड) जरूर रखा है लेकिन उसके बाद 460 करोड़ का बकाया भी चलता रहे, यह कतई व्यावहारिक नहीं है। ऐसे में संभव है कि मंत्रलय एडवांस भुगतान की शर्त वापस ले ले, लेकिन एचआरडी मंत्रलय को खाद्यान्न के बिलों के समय से भुगतान का तंत्र भी जरूर विकसित करना होगा।
एडवांस भुगतान को लेकर खाद्य मंत्रलय की चेतावनी के बाद हरकत में आए एचआरडी मंत्रलय ने एफसीआइ के कुल बकाये का हिसाब-किताब लगाना शुरू कर दिया है। मंत्रलय ने गुरुवार को ही तमिलनाडु में बकाये की समीक्षा की। एचआरडी मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि एफसीआइ का बकाया 460 करोड़ है ही नहीं। उसके क्षेत्रीय कार्यालयों ने संभवत: उसे जानकारी ही नहीं दी है। मसलन, एफसीआइ ने बिहार में मिड डे मील खाद्यान्न का 80 करोड़ रुपये बकाया बताया है, जबकि मंत्रलय की जांच में वहां सिर्फ 16 करोड़ बकाया निकला।
मिड डे मील के दिशा-निर्देशों के तहत निगम के गोदामों से खाद्यान्न उठाने के दस दिन के भीतर एफसीआइ अपना बिल प्रस्तुत करेगा। बिल मिलने के अगले 20 दिन के भीतर जिला प्रशासन को उसका भुगतान करना होता है। फिर भी कुछ दिक्कतें हैं जिन्हें ठीक करने की कोशिशें जारी हैं। dj
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