कुरुक्षेत्र : शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये की पुस्तकों को दीमक चाट जाती हैं। पुस्तक छपाई का लाभ भले ही किसी को मिलता हो या न मिलता हो, लेकिन उनके अभाव में हजारों आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को वर्षभर उनका दीदार करने की लालसा जरूर बनी रहती है।
ऐसा ही एक मामला थानेसर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के स्टोर में देखने को मिला है। वहां भिवानी बोर्ड की सैकड़ों किताबें धूल फांक रही हैं। यही नहीं स्टोर में पुस्तकों की पर्याप्त सुरक्षा न होने के कारण उनमें दीमक लग रहा है। ये पुस्तकें बोर्ड ने बिक्री के लिए छपवाई थीं। इसे पहले बोर्ड ने पुस्तक विक्रेताओं को उपलब्ध कराया। जब ये पुस्तक नहीं बिकी, तो इसकी सूचना वापस भिवानी बोर्ड को भेज दी गई। दो तीन साल से ये पुस्तकें विद्यार्थियों के हाथों में जाने का इंतजार कर रही हैं।
जानकारों की मानें तो निजी पुस्तक विक्रेताओं ने सरकारी किताबें न बेचकर अपनी पुस्तकें बेच दी। सरकारी पुस्तकों को सरकारी स्कूलों को लौटा दिया गया। इससे सरकारी स्कूलों के स्टोरों में उन पुस्तकों का ढेर लग गया। यदि हरियाणा बोर्ड के शिक्षकों की मानें तो इस बार नए समेस्टर की किताबें विद्यार्थियों को नहीं मिली हैं। इसके विपरीत स्टोर में रखी सरकारी पुस्तकों में कीड़ा लग रहा है, जबकि हजारों की संख्या में विद्यार्थी अपनी पुस्तक मिलने का इंतजार कर रहे हैं। बृहस्पतिवार स्टोर में पुस्तकों की संभाल कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि वे बोर्ड के आदेशानुसार किताबों को सही ढंग से रख रहे हैं। इसमें उन्हें कक्षाओं के हिसाब से उन्हें अलग-अलग रखने को कहा गया है। dj
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