भिवानी। सात नवंबर से अपनी मांगों को लेकर 12वीं के पेपर चेक करने का बहिष्कार कर रहे लेक्चरर से स्कूल प्रिंसिपलों ने अपील की है कि वे खुद का हित त्याग कर छात्रों के भविष्य की सोचते हुए पेपर चेकिंग करें। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन ग्रेड पे और प्रमोशन आदि मुद्दों पर पेपरों की चेकिंग नहीं कर रही है। इसके साथ ही एडेड स्कूलाें के प्रवक्ताओं और गेस्ट टीचरों ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं। इस तरह पेपर चेकिंग का काम ठप पड़ा हुआ है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भी लेक्चरर के सामने घुटने टेक चुका है और लेक्चररों को मनाने के लिए उनके सारे प्रयास विफल हो चुके हैं। ऐसे में स्कूल प्राचार्यों ने लेक्चरर से अपील की है कि मांग पूरी करवाने के और बहुत तरीके हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय के अलावा दूसरे मौके पर भी अपनी मांग उठाई जा सकती है।
उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन समय पर नहीं होने से 12वीं के 365783 विद्यार्थियों के रिजल्ट का कार्य प्रभावित हो रहा है। इनमें री अपीयर के 97 हजार 439 और नियमित 268344 विद्यार्थी शामिल हैं।
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्राचार्य रमेश चंद्र बूरा ने कहा कि हमारा पहला कर्तव्य है छात्रों का विकास। पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं करके हम छात्रों के विकास में बाधक बन रहे हैं। इसलिए वह उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार करने वाले शिक्षकों से यह गुजारिश करना चाहेंगे कि वे विद्यार्थियों के हित को देखते हुए मूल्यांकन कार्य करें ताकि समय पर परिणाम घोषित हो सके।
गुजरानी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्राचार्य रमेश चंद्र मुआल ने कहा कि बच्चों का भविष्य बनाना हमारा और माता पिता का पहला कर्तव्य होता है। अपने अधिकारों को पाने के लिए दूसरे रास्ते भी बहुत हैं। स्कूल लेक्चरर बच्चों के कॅरियर का ख्याल रखें।
टीआईटी स्कूल के प्राचार्य डॉ. डीपी कौशिक ने कहा कि पहले तो शिक्षकों को उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना चाहिए। बच्चों का हित सर्वोपरि है। स्कूल लेक्चरर की मांगें सरकार से जुड़ी हैं। वे दूसरे अवसरों पर अपनी मांगों को लिए सरकार के सामने अड़ सकते हैं। जो उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय को चुना है वह सही नहीं है। यह समय सीधे बच्चों के कॅरियर से जुड़ा है। अगर सीबीएसई बोर्ड के पैटर्न पर मार्किंग करवाई जाए तो और भी बेहतर हो सकता है।
डीएवी स्कूल की प्राचार्या मंजू नारंग ने कहा कि शिक्षकों के अधिकार अपनी जगह हैं, लेकिन अधिकार पाने को कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए। इसलिए बच्चों के हित को सर्वोपरि रखते हुए सबसे पहले उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। लाखों बच्चे और अभिभावक रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। au
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