कुरुक्षेत्र : एक भर्ती। चार साल और नतीजा एक बड़ा सा जीरो। जी हां आपने बिलकुल ठीक पढ़ा यह कारनामा कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्रशासन ने किया है। सबसे पहले वर्ष 2009 में 12 डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया।
केयू प्रशासन ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बजाए वर्ष 2010 में दोबारा डाटा एंट्री ऑपरेटर के 17 पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया। जिसके बाद भी सैकड़ों लोगों ने आवेदन फॉर्म भरे। आवेदकों को भी उम्मीद जगी कि शायद अब भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़े, लेकिन वर्ष 2012 में एक बार फिर से प्रशासन ने 21 डाटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती के विज्ञापन मांग लिए। देखते-देखते चार साल गुजर गए पर भर्ती प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी रही। वहीं नवंबर 2013 में निकली भर्तियों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों को ही खत्म कर क्लर्क में शामिल कर दिया गया है। सभी पदों पर तकरीबन 16 हजार पांच आवेदकों ने आवेदन डाले थे। आवेदन की फीस 500 और दो सौ रुपए थी।
योग्य हो गए अयोग्य :
डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों पर आवेदन करने वाले आवेदकों को योग्यता 12वीं चाहिए थी। वहीं अब इसे क्लर्क में मर्ज कर दिया गया है। जिसके चलते इनकी योग्यता बढ़कर स्नातक हो गई है। ऐसे में सैकड़ों योग्य आवेदक चार साल पहले भी पद भरने के बावजूद अयोग्य हो गए हैं। आवेदकों ने सवाल उठाए कि प्रशासन के पास भरने के लिए पद तो खाली होते नहीं और विज्ञापन निकाल दिया जाता है।
विज्ञापन निकालो, नोट बटोरो की नीति :
भर्ती के लिए आवेदन करने वाले आकाश, सतीश, धर्मपाल, पवन और रोहित ने आरोप लगाया कि केयू प्रशासन विज्ञापन निकालो और नोट बटोरो की नीति के तहत काम कर रहा है। जिसके चलते पहले तो पदों को विज्ञापित कर दिया जाता है और उसके बाद उन पदों की भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बजाए दोबारा विज्ञापन मांग लिया जाता है या फिर पदों को रद्द कर दिया जाता है।
यह पूरी तरह से आवेदकों के साथ अन्याय है। आवेदकों ने बताया कि वर्ष 2010 में निकली चपरासी व लाइब्रेरी क्लीनर की भर्ती को भी रद्द कर दिया गया। जिसके लिए आवेदकों ने 500-500 रुपए जमा करवाए हुए थे।
प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार पद हुए मर्ज :
केयू रजिस्ट्रार डॉ. कृष्ण चंद रल्हाण ने बताया कि डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों को प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार क्लर्क पदों में मर्ज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भर्ती चार साल में ना होने का कारण तकनीकी था। वहीं उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी क्लीनर और चपरासी के पदों के रद्द होने के कारण प्रभावित होने वाले आवेदकों को उनके पैसे वापस देने के लिए जल्द से जल्द नोटिफिकेशन करवाया जाएगा।
भर्ती के साथ आए डेडलाइन
विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले विकास, विक्रम, विरेंद्र, सुखबीर, शिवकेश, अमित शर्मा और राजकुमार कौशिक ने कहा कि भर्ती के साथ उसकी डेडलाइन भी घोषित होनी चाहिए। ताकि आवेदकों को यह पता चल सके कि इस भर्ती को कब तक पूरा किया जाएगा। आवेदकों ने बताया कि वे लगभग सैकड़ों नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं लेकिन कई नौकरियों का तो कई-कई साल तक कुछ अता-पता ही नहीं आता। इतना ही नहीं कई बार तो पदों को एक छोटा सा शुद्धिपत्र छपवाकर रद्द कर दिया जाता है। यह बेरोजगार आवेदकों पर दोहरी मार है। जिसे प्रदेश सरकार को तुरंत बंद करना चाहिए।
60 लाख से अधिक की धन उगाही
केयू में निकली डाटा एंट्री ऑपरेटर के भर्ती के लिए करीब 1500 से अधिक युवाओं ने आवेदन किए थे। वहीं केयू में 2011 में निकली चपरासी के पदों की भर्ती में 10 हजार और लाइब्रेरी क्लीनर के लिए करीब पांच हजार आवेदकों ने फॉर्म भरे थे। सामान्य वर्ग के आवेदकों ने जहां 500 रुपए वहीं एससी व बीसी वर्ग के आवेदकों ने 200 रुपए की फीस भरी। इस हिसाब से देखा जाए तो केयू प्रशासन के पास करीब 60 लाख रुपए से अधिक पैसे केवल आवेदन फार्मों के रूप में ही जमा हैं। जिनका ब्याज केयू प्रशासन पिछले दो सालों से डकार रहा है। db
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