चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि वह प्रतीक्षा सूची में शामिल शिक्षकों को एक महीने के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करे। पुष्पा देवी समेत दर्जनों शिक्षकों की याचिका पर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। याचियों ने वर्ष 2009 में 372 एसएस टीचर के पदों के लिए आवेदन किया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कर्मवीर सिंह बनयाना ने बताया कि शिक्षा विभाग में नियुक्ति देने में उच्च स्तर पर धांधली हो रही है। उच्च अधिकारी व शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी मिल कर उन उम्मीदवारों को भी नियुक्ति नहीं दे रहे जिनका चयन हो चुका है। बनयाना ने बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में 372 एसएस टीचर के लिए आवेदन मांगे थे, जिसका परिणाम पिछले साल मई में घोषित हो गया था। पिछले वर्ष नवंबर में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया लेकिन याचिकाकर्ता समेत कई दर्जन उम्मीदवारों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया।
सरकार ने गत 15 मार्च को चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइन करने के लिए पंद्रह दिन का अंतिम अवसर दिया था। उक्त अवधि के खत्म होने के बाद दर्जनों पद खाली रह गए। याचिकाकर्ता ने शिक्षा विभाग से नियुक्ति पत्र देने का आग्रह किया तो बताया बताया गया कि जल्द ही उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने दर्जनों बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। आखिर याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत खाली पदों की जानकारी मांगी। पता चला कि 372 एसएस शिक्षकों में से अकेले एससी वर्ग के ही कई दर्जन व अन्य श्रेणी के काफी संख्या में पद खाली पड़े हैं। सूचना के अधिकार के तहत यह भी खुलासा हुआ कि इस 9647 जेबीटी टीचरों के भर्ती में भी काफी संख्या में पद खाली रह गए, लेकिन शिक्षा विभाग प्रतीक्षा सूची में रह गए उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी।
याचिकाकर्ता के वकील ने बैंच को बताया कि यह भी एक बहुत बड़ा घोटाला है कि चयनित उम्मीदवारों द्वारा ज्वाइन न करने पर खाली रह गए पदों को क्या किया जा रहा है और प्रतीक्षा सूची वालों उम्मीदवारों को नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही? दूसरी तरफ हाईकोर्ट का फैसला है कि परिणाम के दो महीने के भीतर ज्वाइनिंग करवाना जरूरी है। dj
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