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Saturday, 18 January 2014

सर्दियों की छुट्टियों के बाद स्कूल खोलना ही भूल गए मास्टर जी

** तीन दिन से सुबह स्कूल पहुंच रहे बच्चे, ताला लटका देख लौट जाते हैं
कैथल : सर्दियों की छुट्टियों के बाद पट्टी डोगर के सरकारी प्राइमरी स्कूल को मास्टर जी खोलना ही भूल गए। तीन दिन से बच्चे सुबह स्कूल आते हैं, लेकिन पांच कमरों पर ताला लटका देख वापस लौट रहे हैं। 
स्कूल 15 जनवरी से खोला जाना था। शुक्रवार को भी स्कूल पर ताला ही लटका रहा। इस स्कूल में सिल्ला खेड़ा के 22 बच्चे पढ़ते हैं। पांचवीं तक के इस स्कूल में इन बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल एक मास्टर ही है। चौकीदार के अलावा स्कूल में कोई स्टाफ नहीं है। सरकार ने स्कूलों में 14 जनवरी तक सर्दियों का अवकाश कर रखा था। इसके बाद 15 जनवरी से स्कूल खोला जाना था। छुट्टी खत्म होने के बाद बच्चे तो सुबह स्कूल आए तो उन्होंने देखा कि गेट पर ताला लटका है। सोचा शायद मास्टर जी को देर हो गई है। जब घंटों इंतजार करने के बाद भी मास्टर जी नहीं आए तो हताश होकर बच्चे वापस लौट गए। 
ये सिलसिला तीन दिन से जारी है। जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय से पांच किलोमीटर दूर स्थित प्राइमरी स्कूल के इस हालात का पता किसी भी अधिकारी को नहीं लगा। अब मामला उजागर होने पर अधिकारी गर्दन नीची कर बोलने से कतरा रहे हैं। गांववासी प्रीतम सिंह ने कहा कि एक अध्यापक है। वह बच्चों की पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं दे रहा। चौकीदार पिरथी राम ने कहा कि रात को ड्यूटी होने के कारण वह कभी-कभार ही दिन में स्कूल आता है। छुट्टियां समाप्त होने के बाद से स्कूल बंद है। उसने अध्यापक स्कूल मे नहीं देखा है। स्कूल के बच्चों शबनम, दीपक, सिलोनी और अजय का कहना था कि क्या फर्क पड़ता है। अगर मास्टर जी स्कूल खोलना ही भूल गए. वैसे भी हर रोज दोपहर को मिड-डे मील खाने के बाद स्कूल में छुट्टी हो ही जाती है। 
स्कूल बंद रखने का औचित्य नहीं 
ब्लॉक एलीमेंटरी अधिकारी सुरेंद्र मोर ने कहा कि हमने इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी दे दी है। स्कूल नियमित तौर पर लगना चाहिए ताकि बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित न हो। स्कूल अध्यापक को अगर किसी प्रकार की दिक्कत थी तो वह जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को लिखकर देता। ताकि किसी दूसरे अध्यापक का प्रबंध किया जा सकता। तीन दिन स्कूल बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है। 
मास्टर को बदलवा देंगे
सरपंच राज कौर का कहना है कि उनके गांव की भी मजाक है कि मास्टर स्कूल ही न खोले। अगर स्कूल में ऐसी दिक्कत है तो वे मास्टर को बदलवा देंगे। बच्चों की पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। वे स्वयं स्कूल में जाकर इस बारे में बच्चों से जानकारी लेंगे। 
तबीयत खराब हो गई थी : 
तीन दिन से स्कूल न खोलने की बात के लिए जिम्मेदार अध्यापक रमेश बैनीवाल का कहना है कि उसकी तबीयत खराब थी। इसलिए वह स्कूल नहीं खोल सक। यहां दो अध्यापक होने चाहिए। ताकि बीमार होने की हालत में एक छुट्टी ले सके और स्कूल बंद होने की नौबत न आए।                               db

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