हिसार : अक्सर कहा जाता है सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती या सरकारी स्कूलों में पढ़कर कोई अफसर नहीं बन सकता। शिक्षा विभाग ने ऐसा कहने वाले लोगों की मानसिकता बदलने के लिए योजना तैयार की है। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़कर साहब बने व्यक्ति ही इन स्कूलों का गुणगान करेंगे।
विभाग के मुताबिक इस योजना से न सिर्फ उन अभिभावकों की सोच बदलेगी, जो यह सोचते है कि सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में पढ़कर ही अफसर बना जा सकता है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों से मिलकर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थी भी उनसे प्रेरित होंगे। विभाग की तरफ से सरकारी स्कूलों में एलुमनी मीट कराई गई। इस दौरान सरकारी स्कूलों में पढ़कर सेना, खेल, राजनीति, उद्योग, शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में प्रतिष्ठित पदों पर पहुंचे व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाएगा।
ये लोग अपनों अनुभवों को अभिभावकों के साथ साथ बच्चों से भी सांझा करेंगे। इस दौरान वह बच्चों से कहेंगे कि जब वे सरकारी स्कूलों में पढ़कर ऊंचे पदों पर पहुंच सकते हैं, तो वे क्यों नहीं पहुंच सकते। साल दर साल सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या घटती जा रही है। विभाग के मुताबिक इसके पीछे लोगों की यही सोच है कि उनका बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़कर अफसर नहीं बन सकता। इसके चलते ही वे अपने बच्चों को सरकारी की बजाय प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं। इस योजना के जरिए विभाग उन लोगों की इसी सोच को बदलेगा। इस योजना के दो फायदे होंगे। एक तो उन लोगों की सोच बदलेगी, दूसरा ऐसे सफल लोगों से मिलकर बच्चों को प्रेरणा मिलेगी।
"शिक्षा विभाग ने ब्लॉक स्तर पर अपनी एलुमनी की लिस्ट तैयार करने के निर्देश स्कूलों के लिए जारी कर दिए हैं। इन अधिकारियों का चार्ट तैयार कर जल्द ही एलुमनी मीट आयोजित की जाएगी। इससे अभिभावक जान सकेंगे कि राजकीय स्कूलों में भी बेहतर शिक्षा दी जाती है।"--सुषमा मुंझाल, जिला परियोजना समन्वयक, एसएसए db
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