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Thursday, 9 January 2014

अभिभावकों के सुझाव से बनेगी नई शिक्षा नीति

** आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव हो सकते हैं 
सोनीपत : किसी भी नई नीति को लागू करने से पहले उसका गुणा-भाग कर उसकी सफलता का आंकलन करने के लिए अग्रिम सुझाव लेने के रास्ते पर अब शिक्षा विभाग भी चल पड़ा है। 
विभाग की ओर से प्रदेशवासियों से सुझाव मांगे गए हैं कि वे एजुकेशन सिस्टम में आखिर क्या बदलाव चाहते हैं। सुझाव की इस सारी प्रक्रिया को पूरा होने पर उसकी एक विशेष फाइल बनेगी। जिसे पहले शिक्षा निदेशक को सौंपा जाएगा। इसके बाद आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए जो नीति बनेगी, वह अभिभावकों एवं विद्यार्थियों के सुझाव पर ही आधारित होगी। शिक्षा निदेशालय शिक्षा में सुधार के लिए लोगों से सुझाव मांग रहा है। इससे अपने बच्चे के लिए लोगों को किस तरह का एजुकेशन सिस्टम चाहिए, इसका सुझाव आप खुद शिक्षा विभाग को दे सकते हैं। यह सुझाव एजुकेशन डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर ऑनलाइन या डायरेक्ट ऑफिस में जाकर दिए जा सकते हैं। 
बच्चे खुलकर अपने पैरेंट्स से बात कर सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव हो सकते हैं। 
इस प्रकार दें सुझाव : 
सुझाव देने के लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट की वेबसाइट स्कूल एजुकेशन हरियाणा डाट जीओवी डाट इन पर जाएं। यहां होम पेज पर ही सजेशन का लिंक दिया गया है। इस लिंक पर क्लिक करते ही एक फॉर्म ओपन होगा। इस फॉर्म में अपना नाम, पता, ई-मेल आईडी, सब्जेक्ट और सुझाव के कॉलम भरकर समिट करें। आप डायरेक्ट शिक्षा निदेशालय में जाकर भी सुझाव दे सकते हैं। सुझाव इंग्लिश या हिंदी दोनों लैंग्वेज में दिए जा सकते हंै। एक विशेष टीम इन सुझावों की जांच करेगी। बेहतरीन और एक ही जैसे कई सुझाव मिलने पर अधिकारी उस पर चर्चा करेंगे। बाद में उन्हें अमल में लाया जाएगा। 
"शैक्षणिक सुधार की दिशा में यह एक बढिय़ा कदम है। उम्मीद है कि विभाग को काफी अच्छे सुझाव मिलेंगे। जिसके बाद आगामी सत्र के लिए विभाग की ओर से योजनाएं बनाई जाएंगी।''--धीरज मलिक, संयोजक, सर्व शिक्षा अभियान, सोनीपत। 
शिक्षा विभाग ने सुझाव की यह प्रक्रिया अपनी पूर्व की योजनाओं के अपेक्षा अनुरूप परिणाम नहीं आने के कारण लागू की है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक बीते वर्ष कई योजनाएं शुरू तो हुईं, लेकिन वह ज्यादा समय तक सफलता का स्वाद नहीं चख सकीं। जिसमें थ्री टियर सिस्टम, स्कूलों का समय बढ़ाना, आठवीं तक बच्चों को फेल न करने जैसी योजनाएं लागू तो उत्साह से की गईं, लेकिन इसका लाभ मिलने के बजाए नुकसान अधिक हुआ।                                       db

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