फर्जी डिग्री बेचने के मामले पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने लुधियाना के कमिश्नर से रिपोर्ट तलब की है। जस्टिस राजेश बिंदल ने फैसले में कहा कि भोले-भाले स्टूडेंट्स को फर्जी डिग्र्री बेचने की दुकानें खोलकर लूटा जा रहा है। ऐसे में इन दुकानों पर ताला लगाने की जरूरत है। जस्टिस बिंदल ने फैसले में कहा कि जांच की जाए कि इलाके में ऐसे कितने इंस्टीट्यूट हैं जो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। ये इंस्टीट्यूट मान्यता प्राप्त हैं या नहीं, इसकी जानकारी हासिल की जाए।
क्या कहा था याचिका में
लुधियाना के तजिंदर सिंह की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि उन्हें सर्वशिक्षा अभियान के तहत ईटीटी शिक्षक नियुक्त किया गया था। 5 जुलाई 2011 को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। याचिका में मांग की गई कि उनकी सेवाएं बहाल की जाएं। कहा गया कि उन्हें जनवरी 2009 में नियुक्ति दी गई थी। उसे ईटीटी सर्टिफिकेट फर्जी बताकर नौकरी से बाहर कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि लुधियाना के आस्था इंस्टीट्यूट के सहयोग से सर्टिफिकेट बिहार प्रदेश शिक्षा परिषद श्री पालपुर पटना से जारी किया गया था।
सुनवाई के दौरान सामने आया कि बिहार प्रदेश शिक्षा परिषद के नाम से कोई इंस्टीट्यूट ही नहीं है। हाईकोर्ट के निर्देशों पर सर्टिफिकेट की जांच पटना से की गई तो पता चला कि इस नाम से कोई मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट नहीं है। पालपुर में एक व्यक्ति सतीश चंद्र मिश्रा सूटकेस टाइप शॉप के जरिए ये डिग्र्री बेच रहा था। अब उसकी मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि याची की डिग्र्री को लेकर स्पष्ट हो चुका है कि यह फर्जी है। ऐसे में नौकरी समाप्त करने का फैसला सही है लेकिन ऐसा किसी और मासूम के साथ न हो, इसके लिए एसएसपी मामले की जांच करें। dbchd
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