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Thursday, 23 January 2014

स्कूलों में सुविधाएं तो बढ़ीं पर इस्तेमाल के योग्य नहीं

पिछले एक साल के अंतराल में राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए सुविधाएं तो बढ़ी हैं, लेकिन उनका पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार ने स्कूलों में शौचालय भी बना दिए। पुस्तकालय भी खोल दिए। स्कूलों की बाउंड्री वाल भी बनवा दी, लेकिन सही रखरखाव नहीं होने के कारण इन सुविधाओं का बच्चे पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। 
शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अगर बात करें तो राज्य के 84.5 प्रतिशत ग्रामीण स्कूलों में खेल के मैदान बनवा दिए गए हैं। 92.5 प्रतिशत स्कूलों की चारदीवारी बन चुकी है। 98.6 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। 95 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय अलग से हैं और 89 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां लाइब्रेरी उपलब्ध हैं। इतनी ढांचागत सुविधाएं बढ़ने के बावजूद स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं है। दिल्ली के सामाजिक संगठन असर ने राज्य में किए गए सर्वे के बाद खुलासा किया है कि 80 प्रतिशत शौचालय इस्तेमाल के योग्य नहीं हैं। मात्र 29 प्रतिशत स्कूलों में ही लाइब्रेरी का इस्तेमाल होता है। स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का अनुपात पिछले साल की अपेक्षा बढ़ा है, लेकिन छात्र उपस्थिति के अनुपात में कमी आ गई है। 2012 में शिक्षकों की उपस्थिति का अनुपात 83 प्रतिशत था, जो 2013 में 86.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि छात्र उपस्थिति का अनुपात 2012 में 78 प्रतिशत की बजाय घटकर 2013 में 75 प्रतिशत रह गया है।                                                       djchd

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